“आज तुम स्कूल नहीं आए तो मैं ने सोचा तुम से मिलता चलूं. तुम्हारी तबीयत ठीक है?” निखिल ने पूछा.
"मेरी तबीयत तो ठीक है, पर लिली बीमार थी, इसलिए मैं स्कूल नहीं गया.”
“लिली? कौन लिली?" निखिल ने यह नाम पहली बार सुना था.
“अरे, मैं तुम्हें लिली के बारे में बताना तो भूल ही गया."
“दरअसल, लिली मेरी प्यारी बिल्ली का नाम है. तुम मेरे नौवें वाले चाचाजी से तो मिल चुके हो न? वही इसे मेरे लिए ओस्लो से ले कर आए थे. आओ, मैं तुम्हें लिली से मिलवाता हूं,” सुमित अपने दोस्त को ड्राइंगरूम में ले गया, जहां एक प्यारी सी बिल्ली सोफे पर लेटी हुई थी.
“लिली, मेरे बैस्ट फ्रैंड, निखिल से मिलो,” सुमित के ऐसा कहते ही लिली सोफे पर अलर्ट हो कर बैठ गई और अपनी चमकीली नीली आंखों से निखिल की तरफ टुकुटुकुर देखने लगी.
“वाह, तुम्हारी नौर्वे वाली यह बिल्ली तो बहुत ही सुंदर और क्यूट है भई. दोस्त, क्या लिली को तुम मुझे दे सकते हो? तुम अपने चाचाजी से दूसरी दे बिल्ली मंगवा लेना, प्लीज." निखिल को लिली इतनी पसंद आई कि वह उसे दोस्त से मांग बैठा.
"बिलकुल नहीं. लिली तो मेरी जान है, मैं इसे किसी भी कीमत पर नहीं दे सकता. तुम्हें चाहे बुरा लगे पर आइंदा ऐसी बात भूल कर भी दोबारा मुझ से मत करना,” सुमित ने इनकार करते हुए कहा.
लेकिन निखिल तो लिली का दीवाना हो चुका था. इतनी सुंदर बिल्ली उस ने पहली बार देखी थी.
“एक बिल्ली के लिए अपने दोस्त को नाराज कर तुम ने अच्छा नहीं किया तुम्हें सुमित से माफी मांगनी चाहिए.” निखिल का उतरा हुआ मुंह देख कर उस की दोस्त सना ने कहा, “अगर कहीं हाथ लगी तो मैं तुम्हें दूसरी बिल्ली ला दूंगी."
“सना, मैं लिली के बिना नहीं रह सकता. तुम जा कर सुमित से कहो कि वह लिली मुझे दे दे," निखिल पर लिली का भूत सवार हो चुका था.
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