Swasthya Vatika - January - March 2020
Swasthya Vatika - January - March 2020
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この問題で
Swasthya vatika’s current issue consists of health related important articles viz Renal Problem, Sickle cell anaemia, Ideas of healthy & long life, Health Protection in old age. Vericose vein, Muscular dystrophy, Migraine, Leucorrhoea, Deficiency of vitamin B12, Heart Attack, Home Remedies in digestive disorder, Uses of jaggery for health, Mental health of ladies, Metabolism, cardiac problem in pregnancy, Insomnia, Hyperacidity due to fast food etc.
किडनी विकार
आजदेश में लगभग 5 लाख ऐसे मरीज हैं, जिनकी किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी हैं। हर साल एक लाख नए मरीज बढ़जाते हैं। देश के प्रत्येक 2,000 परिवार में से एक परिवार इस बीमारी से ग्रसित है। केवल दो प्रतिशत लोगों को ही उचित उपचार मिल पाता है।
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हायपर एसिडिटी फास्ट फूड की देन
वर्तमान भाग दौड़ के युग में मनुष्य के आहार विहार में काफी परिवर्तन आ गया है । आयुर्वेद में आहार के का विशेष रूप से वर्णन किया गया है । षड्रस का वर्णन आयुर्वेद के अंतर्गत ही आता है । मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त व कषाय इन 6 रसों का आहार में समावेश होना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है, ऐसा आयुर्वेद के मनीषियों का कथन है । परंतु आज स्थिति विपरीत है । भोजन में मसालेदार, तीखे, खट्टे, चटपटे पदार्थों का ज्यादा समावेश कर उसे स्वादिष्ट बनाया जाता है, जो हमें उस समय तो स्वाद के कारण रोचक लगते हैं, किंतु कालांतर में रोगकारी सिद्ध होते हैं ।
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सिकल सेल एनिमिया
सामान्य रूप से लाल रक्त कोशिकाओं की आयु 120 दिनों तक होती है किंतु सिकल सेल वाले रक्त कोशिकाओं की आयु 15-20 दिनों तक रह जाती है। जितनी संख्या में लाल रक्त कोशिकाएं टूटती है उतनी संख्या में उनका निर्माण नहीं हो पाता इसलिए सिकल सेल एनिमिया रोग से पीड़ित व्यक्तियों में हमेशा खून की कमी बनी रहती है।
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हार्ट अटैक -: एक सत्य
हृदय मात्र एक पम्प का कार्य करता है । हृदय धमनियों द्वारा खून को प्रत्येक अंग तक पहुँचाता है व वाहिनियों द्वारा रक्त को फेफड़ों तक पहुँचाता है । जब इन धमनियों में कोई रूकावट आ जाती है तो हृदय ठीक से काम नहीं कर पाता है और धमनियों द्वारा जहाँ खून को सीधे पहुँचाया जाता है, वह अंग क्षतिग्रस्त होने लगते हैं जैसे मस्तिष्क, हृदय आदि तथा इसी स्थिति में हार्ट अटैक व पैरालायसिस भी हो जाते हैं ।
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गुड़ के स्वास्थ्यकारक प्रयोग
गुरु में प्रोटीन, कार्योहाइड्रेट, विटामिन्स । नया है होता भंडार लवर्णों का तथा खनिज गुड़ पित्त एवं गरमी बढ़ाता है । अतः गुड़ एक वर्ष पुराना ही उपयोग में लाना चाहिए । आयुर्वेदिक मत के अनुसार गुड़ वातनाशक, बलकारक, मूत्र शोधक, थोड़ा पित्तनाशक, कफ को बढ़ने नहीं देता, थोड़ा कृमि पैदा करने वाला होता है ।
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वृद्धावस्था में स्वाथ्य सुरक्षा
वृद्धावस्था मानव जीवन का वह पड़ाव है, जहां व्यक्ति एकान्त मेंशान्तिपूर्ण जीवन बिता सकता है, उसकी शारीरिक शक्ति भले ही कम हो जाये, किन्तु अगर उसकी मानसिक शक्ति अर्थात इच्छाशक्ति मजबूत हो , तो वह सभी कार्य कुशलता से कर सकता है। आयु बढ़ना एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिये इससे बुढ़ापे की हीन भावना नहीं आनी चाहिए कि मैं तो अब कमजोर हूं, लाचार हूं, दूसरों पर निर्भर हूं, बल्कि इसके विपरीत आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर होकर दूसरों का भी सहयोगी बनकर स्वंय को उपयोगी सिद्ध करना चाहिए. वृद्धावस्था जीवन की वह सांझ है, जहां अनुभव का प्रकाश दमकता है, जहां मधुर वाणी की बयार बहती है, जहां प्रेम और स्नेह की भागीरथी प्रवाहित होती है
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महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य
सुखी एवं प्रसन्न रहने के लिए महिलाओं का शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ और निरोगी होना जरूरी है। लेकिन कई महिलाएं शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हा भी मानसिक तौर पर अस्वस्थ रहती हैं। मानसिक अस्वस्थता का मतलब यह नहीं कि वे विक्षिप्त या अर्द्धविक्षिप्त होती हैं। किसी भी तरह की मानसिक परेशानी, उलझन, तनाव, डिप्रेशन आदि मानसिक अस्वस्थता की निशानी है। वैसे तो स्त्री और पुरुष दोनों ही मानसिक अस्वस्थता के शिकार हो सकते हैं, लेकिन यहां केवल महिलाओं के मानसिक स्वास्थ की चर्चा की जा रही है।
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स्वास्थ्य का आधार मेटाबोलिज्म
मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया में भोजन ऊर्जा में परिवर्तित होता है और यह शरीर में टूट-फूट और तंत्र निर्माण तथा शरीर की उपापचय प्रक्रिया को दूरुस्त करता है। मोटे तौर पर मेटाबोलिज्म हमारे शरीर की वह प्रक्रिया है जो हमारेशरीर के व्यस्त कार्यकाल में गृह निर्माण की प्रक्रिया को 24 घंटे जारी रखती हैं।
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आहार ही औषधि है
आहार चिकित्सा में प्रमुख सिद्धात एक ही है भाँति भाँति के मिश्रणों से बचा जाए; प्राकृतिक आहार को ही साधक की प्रकृति के अनुरूप दिया जाए । धातु परिशोधन व बलपुष्टि के लिए इससे बढ़कर और कोइ साधन नहीं । एक ही आहार से संतोष कर उसे सजीव एवं प्राकृतिक रूप लिया जाए तो उसके चमत्कारी परिणाम होते हैं । वन में करने वाले प्रकृति के संपर्क में रहने वाले पशु पक्षी कहाँ मसालेदार भोजन खाते हैं । वे कभी अस्वस्थ होते देखे नहीं जाते ।
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अनिद्रा - यौगिक तथा घरेलू इलाज
अनिद्रा के रोगी को नींद न आने की ही सबसे बड़ी चिन्ता रहती है। यह नींद न आने की प्रबल चिन्ता ही नींद में बाधक हो जाती है। मनुष्य की चेतना जब तक अपना साधारण काम करती है तब तक जाग्रतावस्था रहती है। जब चेतना की सामान्य क्रियाएँ बन्द हो जाती है तब सुषुप्तावस्था उत्पन्न हो जाती है। इसे ही निद्रा कहते है। निद्रा में मस्तिष्क के स्नायु अपना काम करना बन्द कर देते है। शरीर के दूसरे भाग अपना कार्य करते रहते हैं, किन्तु इस क्रिया का नियन्त्रण मस्तिष्क के द्वारा नहीं होता है। इसका नियंत्रण स्वतंत्र नाड़ी मण्डल के द्वारा होता है।
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अत्यंत जटिल रोग - मस्कुलर डिसट्रॉफी
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने आज इतनी प्रगति की है, नए नए आविष्कार हुए हैं, नित नवीन औषधियों की खोज हो रही है फिर भी कुछ रोग ऐसे हैं, जिनका कोई इलाज आधुनिक चिकित्सा शास्त्रियों के पास नहीं है । मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ( Muscular Dystrophy ) मांसपेशियों का एक ऐसा ही विकार है, जो रोगी को धीरे धीरे मृत्यु के करीब ले जाता है । इसे मांसपेशी का अपविकास या आयुर्वेदानुसार मांसक्षय कहते हैं ।
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स्त्रियों की आम बीमारी ल्यूकोरिया
आमतौर पर किसी भी महिला के योनि मार्ग में उतना ही स्त्राव होता है, जितना कि उसके जननांगों को ( योनि को ) गीला रखने के लिये काफी होता है । यह बहुत ही सीमित मात्रा में होता है । सामान्य स्वस्थ महिला में यह हल्का यह योनि प्राकृतिक तौर पर हुआ सापाया जाता है । जमा स्त्राव गर्भावस्था के दौरान, शिशु जन्म के तुरन्त बाद के महीनों में, गर्भपात के बाद, एवं मासिकधर्म आने के पहले बढ़ जाता है । यह बिल्कुल सामान्य है एवं उसमें कुछ भी बीमारी सरीखी बात नहीं होती है । यह स्त्राव यौन उत्तेजना के समय भी बढ़ जाता है ।
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Swasthya Vatika Magazine Description:
出版社: Gkumar Prakashan
カテゴリー: Health
言語: Hindi
発行頻度: Quarterly
Quarterly health magazine in Hindi covering general aspects about health of all the members of a family. Includes sections like Ayurveda, Panchkarma, Yogasana, Naturopathy, Obstetric and Paediatric care, Beauty etc. Easy to understand language.
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