Samay Patrika - August 2021Add to Favorites

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किताबों की बिक्री में उछाल देखने को मिला है। यह प्रकाशन उद्योग के लिए अच्छी खबर है। पाठक अलग-अलग माध्यमों से किताबों तक पहुंच रहे हैं। हालांकि अभी भी पेपरबैक या हार्डकवर पढ़ने वालों की तादाद बहुत अधिक है। वो अलग बात है कि इ—बुक का बाज़ार पिछले कुछ सालों में गति पकड़ा है, मगर उन्हें जिस गति से डाउनलोड किया जाता है, उस गति से पढ़ा नहीं जा रहा।

समय पत्रिका के इस अंक में प्रीति शेनॉय की दो ख़ास किताबें —’जिंदगी बुला रही है’ और ‘कुछ तो है तुमसे राब्ता’ की चर्चा की है। साथ ही अभिनेता गुलशन ग्रोवर की आत्मकथा 'बैड मैन' के हिंदी अनुवाद पर महेश भट्ट के विचार प्रकाशित किए हैं। गुलशन ग्रोवर ने करीब 500 फिल्में की हैं, जिनमें से 31 अंतरराष्ट्रीय फिल्में हैं। ब्रिटिश, कनाडाई, फ्रेंच, जर्मन और इटालियन फिल्में करने के अलावा पहले भारतीय अभिनेता हैं जिसने पोलिश, मलेशियाई और ईरानी फिल्म में काम किया है।

रामकुमार सिंह और सत्यांशु सिंह की किताब 'आइडिया से परदे तक' इन दिनों चर्चा में है। यह किताब इस साल की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में शामिल हो गयी है। फिल्म के लेखक बनने के ख़ास गुर यह किताब सिखलाती है। साथ ही फिल्मी दुनिया की कई अहम और जरुरी जानकारी यह प्रदान करती है।

वाणी प्रकाशन से अमीर ख़ुसरो पर एक बेहद शानदार किताब आई है। यह उर्दू से हिन्दी अनुवाद है। इसमें ख़ुसरो की तमाम काव्य विधाओं का उल्लेख किया गया है। उनकी पहेलियों की व्याख्या और विश्लेषण प्रस्तुत किया है।

साथ में नई किताबों की चर्चा।

आइडिया से परदे तक सपने को सच में बदलते देखना

ज़्यादातर लोग अपने सपनों का पीछा न करने के बहुत से बहाने ढूँढ़ लेते हैं। अगर आपका सपना फ़िल्में लिखने का है तो आपके बहाने काफ़ी हद तक ठीक भी हैं

आइडिया से परदे तक सपने को सच में बदलते देखना

1 min

'बैड मैन असल में एक गुड मैन है'

बैड मैन- गुलशन ग्रोवर की आत्मकथा

'बैड मैन असल में एक गुड मैन है'

1 min

रहस्य और रोमांच से भरा उपन्यास

वेयरवोल्फ की कथाओं को हमने अभी तक सुना था। उन कहानियों को इस उपन्यास से फिर से जीवन्त कर दिया है

रहस्य और रोमांच से भरा उपन्यास

1 min

अमीर ख़ुसरो- हिन्दवी लोक काव्य संकलन

प्रो. गोपी चन्द नारंग ने अमीर ख़ुसरो के कृतित्व पर कई दशकों से गम्भीर शोध किया है। अमीर ख़ुसरो ने हिन्दवी में जो रचनाएं लिखीं और संकलित नहीं की थीं और जो लम्बे समय से जनमानस के मानस में सुरक्षित थीं, उन्हें प्रो. नारंग ने सम्हालने और उनका सही पाठ तैयार करने का अभूतपूर्व कार्य किया है

अमीर ख़ुसरो- हिन्दवी लोक काव्य संकलन

1 min

जीने की राह श्रीमद्भगवद्गीता

निस्संदेह श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। मैं समझता हूँ, लोकप्रियता में इससे बढ़कर कोई दूसरा ग्रंथ नहीं और मैं पिछले पचास वर्षों से निरंतर देख रहा हूँ कि इस दिव्य पुस्तक की लोकप्रियता आधुनिक विज्ञानवादी समाज में दिन-प्रति -दिन बढ़ती ही जा रही है। गीता के उपदेशों को समझने के बाद सभी ने खुले मन से इस दिव्य पुस्तक को स्वीकृत किया है, अतः मैं यह बहुत जिम्मेदारी से कह सकता हूँ कि श्रीमद्भगवद्गीता किसी संप्रदाय विशेष का ग्रंथ न होकर सभी का ग्रंथ है। मेरा अटूट विश्वास है कि

जीने की राह श्रीमद्भगवद्गीता

1 min

नारीवादी निगाह से

इस किताब की बुनियादी दलील नारीवाद को पितृसत्ता पर अन्तिम विजय का जयघोष सिद्ध नहीं करती इसके बजाय वह समाज के एक क्रमिक लेकिन निर्णायक रूपान्तरण पर जोर देती है ताकि प्रदत्त अस्मिता के पुरातन चिह्नों की प्रासंगिकता हमेशा के लिए खत्म हो जाए। नारीवादी निगाह से देखने का आशय है मुख्यधारा तथा नारीवाद, दोनों की पेचीदगियों को लक्षित करना। यहाँ जैविक शरीर की निर्मिति, जातिआधारित राजनीति द्वारा मुख्यधारा के नारीवाद की आलोचना, समान नागरिक संहिता, यौनिकता और यौनेच्छा, घरेलू श्रम के नारीवादीकरण तथा पितृसत्ता की छाया में पुरुषत्व के निर्माण जैसे मुद्दों की पड़ताल की गई है। एक तरह से यह किताब भारत की नारीवादी राजनीति में लम्बे समय से चली आ रही इस समझ को दोबारा केन्द्र में लाने का जतन करती है कि नारीवाद का सरोकार केवल महिलाओं से नहीं है। इसके उलट, यह किताब बताती है कि नारीवादी राजनीति में कई प्रकार की सत्ता-संरचनाएँ सक्रिय हैं जो इस राजनीति का मुहावरा एक दूसरे से अलग-अलग बिन्दुओं पर अन्तःक्रिया करते हुए गढ़ती हैं।

नारीवादी निगाह से

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الناشرSamay Patrika

فئةFiction

لغةHindi

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