CATEGORIES
فئات
नेटाफिम सिंचाई तकनीक बूंदबूंद पानी का इस्तेमाल
आज के समय में पानी व सिंचाई ऐसा विषय है, जिन पर बहुतकुछ सोचा व किया जा रहा है, खासकर खेती की सिंचाई की बात करें, तो हमारे देश में अलगअलग जलवायु है. कहीं बेहिसाब पानी है, तो कहीं सूखा पड़ता है, इसलिए हमें पानी को ले कर जल संरक्षण के बारे में सोचना होगा. कम पानी में भी अच्छी खेती की जा सकती है. इस के लिए हमें खेती में सिंचाई के लिए आधुनिक तौरतरीकों को जानना होगा और उन्हें अपनाना होगा.
लाभकारी आर्टीमिसिया (क्वीन घास) की खेती
आर्टीमिसिया यानी क्वीन घास के बारे में लोगों को कम ही जानकारी होगी. बता दें कि मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया से बचाव के लिए जिन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, वह आर्टीमिसिया (क्वीन घास ) नाम के औषधीय पौधें की सूखी पत्तियों से तैयार की जाती है. इसी वजह से दवा बनाने वाली कंपनियों में आर्टीमिसिया की सूखी पत्तियों की भारी मांग बनी रहती है. भारी मांग के चलते आर्टीमिसिया की खेती बेहद फायदे का सौदा साबित हो रही है.
खेती पर अंधविश्वास की मार
पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के तमाम किसान रविवार और मंगलवार के दिन खेतों की बोआई की शुरुआत नहीं करते हैं, क्योंकि उन का मानना है कि मंगलवार व रविवार को धरती माता सोती हैं.
लोबिया की किस्में
अर्का समृद्धि : इस किस्म को आईएचआर-16 के नाम से भी जानते हैं. यह जल्दी पकने वाली किस्म है. इस के पौधे सीधे, झाड़ीनुमा व 70-75 सैंटीमीटर लंबे होते हैं. इस की फलियां हरी, औसत मोटाई, मुलायम, गूदेदार, 15-18 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. एक हेक्टेयर खेत से 180-190 क्विटल तक पैदावार मिल जाती है.
लोबिया की खेती व खास किस्में
बरबटी की खेती पशुओं के लिए हरा चारा, दाल व हरी फलियों की सब्जी के तौर पर की जाती है.
जैविक खेती की जरूरत और अहमियत
जैविक खेती, जिसे इंगलिश में और्गेनिक फार्मिंग भी कहते हैं, फसल, सब्जियां, फल और फूल उगाने की वह पद्धति है, जिस में कृत्रिम और रासायनिक निवेशों जैसे उर्वरक बीमारी और खरपतवारनाशक रसायन, वृद्धि उत्प्रेरक पदार्थों आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
वनराजा मुरगीपालन
'ग्रामीण आजीविका 'मिशन' के तहत भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों के जीविकोपार्जन एवं उन को माली रूप से मजबूत बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म यानी वनराजा मुरगीपालन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है, जिस में कम खर्च एवं कम व्यवस्थाओं में भी अच्छी आय अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन से हासिल किया जा सकता है.
अंगूर की खेती से अच्छा मुनाफा
हमारे देश में कारोबारी रूप से अंगूर की खेती पिछले तकरीबन 6 दशकों से की जा रही है. माली नजरिए से सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बागबानी उद्यम के रूप में अंगूर की खेती अब काफी उन्नति पर है. आज महाराष्ट्र में सब से अधिक क्षेत्र में अंगूर की खेती की जाती है और उत्पादन की दृष्टि से यह देश में अग्रणी है.
पौधों में डालें ये खाद फसल नहीं होंगी खराब
सर्दी का मौसम सब से ज्यादा मुश्किल भरा होता है. इस मौसम में पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है, इसलिए उन्हें अधिक पोषण की जरूरत होती है. ऐसे में पौधों को सही खाद देना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. पौधों को सर्दियों में मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ खास तरह की खादें दी जाती हैं. ये खादें घर पर भी बनाई जा सकती हैं.
रबी की सब्जियों में लगने वाली बीमारियों की रोकथाम
रबी मौसम में अनेक सब्जियां उगाई जाती हैं. पर किसान फसलचक्र नहीं अपनाते हैं, जिस से सागसब्जियों में रोगों का प्रकोप बहुत ज्यादा मिलता है.
पत्तागोभी के बीज उत्पादन से कमाएं लाभ
हमारे यहां शरद ऋतु में उगाई जाने वाली सब्जियों में पत्तागोभी का विशेष स्थान है, फिर भी इस की खेती विभिन्न ऋतुओं में लगभग पूरे साल की जाती है. अच्छी गुणवत्ता वाली किस्मों के बीजोत्पादन के समय बीज की शुद्धता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तकनीकी जानकारी का होना बेहद जरूरी है.
तुलसी को ठंड में सूखने से कैसे बचाएं
तुलसी लैमिएसी परिवार की एक महत्त्वपूर्ण सालाना और बारहमासी सुगंधित एवं औषधि जड़ीबूटी है. इस के तेल का इस्तेमाल स्वाद, सुगंध, भोजन और पारंपरिक दवाओं के लिए किया जाता है.
किसानों के काम की 'पीएम कुसुम योजना'
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएमकुसुम) के तहत कृषि क्षेत्र का डीजल की खपत को कम करने, किसानों को जल और ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने, किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण प्र प्रदूषण पर रोक लगाना शामिल है. इस योजना के 3 घटक हैं, जिन में 34,422 करोड़ रुपए की कुल केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ 31 मार्च, 2026 तक 34.8 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित है.
फरवरी में खेती के खास काम
इस महीने जहां रबी सीजन में बोई गई फसलों को उचित देखभाल के नजरिए से महत्त्वपूर्ण माना जाता है, वहीं जायद में ली जाने वाली फसलों के नजरिए से भी यह महत्त्वपूर्ण होता है.
लाल भिंडी की खेती किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने संजीव
इन दिनों वैशाली जिले के हाजीपुर चकवारा के रहने वाले राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित युवा किसान संतोष कुमार अपने किचन गार्डन में प्रयोगात्मक रूप से लाल भिंडी उपजा कर किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं.
फसल को सर्दी से बचाए सल्फर
उचित खाद व उर्वरकों के प्रयोग से हम न्यूनतम तापमान, पाला, बादल, ओस जैसी सर्दियों की प्राकृतिक समस्याओं से मुकाबला कर के कम लागत में ज्यादा उत्पादन पा सकते हैं. आइए जानते हैं, किनकिन उर्वरकों का इस्तेमाल कर के पौधों को सर्दियों से बचाया जा सकता है:
फसल कटाई की खास मशीन रीपर
अगर फसल की कटाई समय पर न की जाए, तो नुकसान और भी बढ़ सकता है. कटाई से जुड़ी मशीनों के इस्तेमाल से मजदूरों की कमी को पूरा किया जा सकता है और इस से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. फसल कटाई की एक खास मशीन वर्टिकल कनवेयर रीपर है.
किसानों की योजनाओं की बजट राशि में भारी कटौती
सरकार यों तो पिछले कुछ सालों से दूसरे सैक्टरों की तुलना में कृषि एवं किसानों की योजनाओं और अनुदानों पर लगातार डंडी मारती आई है, किंतु यह बजट आगामी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले का बजट था, इसलिए देश की आबादी के सब से बड़े तबके के किसानों ने इस बजट कई बड़ी उम्मीदें लगा रखी थीं.
और अधिक सहारा चाहता है कृषि क्षेत्र
अंतरिम बजट 2024
कल्टीवेटर खेती के करे कई काम
कल्टीवेटर यंत्र खेत से जुड़े अनेक काम करता है, फिर चाहे खेत तैयार करना हो या निराईगुड़ाई. यह निराई करने की खास मशीन है. पावर के आधार पर कल्टीवेटर हाथ से चलाने वाले, पशु चलित व ट्रैक्टर से चलने वाले होते हैं.
लाभकारी आर्टीमिसिया (क्वीन घास) की खेती
आर्टीमिसिया यानी क्वीन घास के बारे में लोगों को कम ही जानकारी होगी. बता दें कि मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया से बचाव के लिए जिन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, वह आर्टीमिसिया (क्वीन घास ) नाम के औषधीय पौधें की सूखी पत्तियों से तैयार की जाती है. इसी वजह से दवा बनाने वाली कंपनियों में आर्टीमिसिया की सूखी पत्तियों की भारी मांग बनी रहती है. भारी मांग के चलते आर्टीमिसिया की खेती बेहद फायदे का सौदा साबित हो रही है.
खेती पर अंधविश्वास की मार
पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के तमाम किसान रविवार और मंगलवार के दिन खेतों की बोआई की शुरुआत नहीं करते हैं, क्योंकि उन का मानना है कि मंगलवार व रविवार को धरती माता सोती हैं.
लोबिया की किस्में
अर्का समृद्धि : इस किस्म को आईएचआर-16 के नाम से भी जानते हैं. यह जल्दी पकने वाली किस्म है. इस के पौधे सीधे, झाड़ीनुमा व 70-75 सैंटीमीटर लंबे होते हैं. इस की फलियां हरी, औसत मोटाई, मुलायम, गूदेदार, 15-18 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. एक हेक्टेयर खेत से 180-190 क्विटल तक पैदावार मिल जाती है.
लोबिया की खेती व खास किस्में
बरबटी की खेती पशुओं के लिए हरा चारा, दाल व हरी फलियों की सब्जी के तौर पर की जाती है.
जैविक खेती की जरूरत और अहमियत
जैविक खेती, जिसे इंगलिश में और्गेनिक फार्मिंग भी कहते हैं, फसल, सब्जियां, फल और फूल उगाने की वह पद्धति है, जिस में कृत्रिम और रासायनिक निवेशों जैसे उर्वरक बीमारी और खरपतवारनाशक रसायन, वृद्धि उत्प्रेरक पदार्थों आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
वनराजा मुरगीपालन
'ग्रामीण आजीविका 'मिशन' के तहत भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों के जीविकोपार्जन एवं उन को माली रूप से मजबूत बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म यानी वनराजा मुरगीपालन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है, जिस में कम खर्च एवं कम व्यवस्थाओं में भी अच्छी आय अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन से हासिल किया जा सकता है.
अंगूर की खेती से अच्छा मुनाफा
हमारे देश में कारोबारी रूप से अंगूर की खेती पिछले तकरीबन 6 दशकों से की जा रही है. माली नजरिए से सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बागबानी उद्यम के रूप में अंगूर की खेती अब काफी उन्नति पर है. आज महाराष्ट्र में सब से अधिक क्षेत्र में अंगूर की खेती की जाती है और उत्पादन की दृष्टि से यह देश में अग्रणी है.
पौधों में डालें ये खाद फसल नहीं होंगी खराब
सर्दी का मौसम सब से ज्यादा मुश्किल भरा होता है. इस मौसम में पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है, इसलिए उन्हें अधिक पोषण की जरूरत होती है. ऐसे में पौधों को सही खाद देना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. पौधों को सर्दियों में मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ खास तरह की खादें दी जाती हैं. ये खादें घर पर भी बनाई जा सकती हैं.
रबी की सब्जियों में लगने वाली बीमारियों की रोकथाम
रबी मौसम में अनेक सब्जियां उगाई जाती हैं. पर किसान फसलचक्र नहीं अपनाते हैं, जिस से सागसब्जियों में रोगों का प्रकोप बहुत ज्यादा मिलता है.
मधुमक्खीपालन को बनाएं स्वरोजगार
मधुमक्खीपालन का काम खेती के साथसाथ आसानी से किया जा सकता है. कम मेहनत में ज्यादा आमदनी की जा सकती है.