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![उम्र एक गिनती है या सोच उम्र एक गिनती है या सोच](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/j7LuYFZ9N1599134560903/crp_1599138670.jpg)
उम्र एक गिनती है या सोच
उम्र का संबंध जितना गिनती से है, उससे कहीं ज्यादा आपकी सोच से है। यही सोच आपको वक्त से पहले बूढ़ा बना देती है और यही सोच आपको बूढ़ा नहीं होने देती। फर्क सारा सोच का है। यही फर्क उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी आपको युवा बनाए रखता है
![तनाव पर ऐसे पाएं जीत तनाव पर ऐसे पाएं जीत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/iboeKNlsA1599136266278/crp_1599138671.jpg)
तनाव पर ऐसे पाएं जीत
तनाव, एक ऐसा शब्द, एक ऐसा अहसास जिससे हम सबका जीवन में कभी-न-कभी सामना जरूर होता है। कभी-कभी हो जाए, तो कुछ नहीं, लेकिन यह स्थायी नहीं होना चाहिए। साथ ही इसे इतना गहरा भी नहीं होना चाहिए कि हम पर हावी हो जाए। अकेलापन तनाव को बढ़ाता है और परस्पर संवाद इससे लड़ने की ताकत देता है
![अपनी सेहत का डिफेंस सिस्टम अपनी सेहत का डिफेंस सिस्टम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/dFL186hQ21599134153175/crp_1599138669.jpg)
अपनी सेहत का डिफेंस सिस्टम
इम्युनिटी बढ़ाने का तत्काल साधन वैक्सीन होता है, लेकिन कोरोना-जैसी बीमारी की अभी तक वैक्सीन नहीं बनी है। ऐसी हालत में जरूरी है कि हम अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दूसरे उपायों का इस्तेमाल करें। यह सब जानते हैं कि एक तंदुरुस्त और मजबूत शरीर किसी भी बीमारी से बेहतर लड़ सकता है और इनसान को किसी भी रोग से बचाने में मददगार हो सकता है
![ताकि बनी रहे हमारी आंतरिक ऊर्जा ताकि बनी रहे हमारी आंतरिक ऊर्जा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/vXWh6fvuK1599136803426/crp_1599138673.jpg)
ताकि बनी रहे हमारी आंतरिक ऊर्जा
आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसमें हर कोई परेशान है। इस कारण न केवल तन से बल्कि मन से भी हम बीमार होते जा रहे हैं। कोरोना से पैदा हुए इन हालात में जब तक इस बीमारी की कोई वैक्सीन या दवा नहीं आ जाती, हमें मन के स्तर पर इससे लड़ना होगा। अपनी जीवन ऊर्जा को मजबूत करना होगा
![अपनी सामाजिक व्यवस्थाओं का करें खयाल अपनी सामाजिक व्यवस्थाओं का करें खयाल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/QUHo5qi1w1599135224155/crp_1599138668.jpg)
अपनी सामाजिक व्यवस्थाओं का करें खयाल
कोरोना ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत और महत्त्व को साबित कर दिया है। इस दौरान यह देखा गया कि जिन देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत स्थिति में हैं, वहां इस महामारी से पैदा हुआ संकट काफी हद तक नियंत्रण में रहा। अब समय आ गया है कि हम अपनी सामाजिक और सार्वजनिक सेवाओं को भी सेहतमंद बनाएं
![युवाओं की आकांक्षाओं को पंख देती नई शिक्षा नीति युवाओं की आकांक्षाओं को पंख देती नई शिक्षा नीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/Ek5fXtduJ1599137545446/crp_1599138681.jpg)
युवाओं की आकांक्षाओं को पंख देती नई शिक्षा नीति
बहुप्रतीक्षित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है। यह शैक्षिक ढांचे में एक बड़े बदलाव का संकेत हैं। उम्मीद की जा रही है कि अभी तक स्कूलों से दूर करीब दो करोड बच्चों को मुख्य धारा में लाया जा सकेगा। शिक्षा नीति की खासियतें बताता आलेख
![प्रकृति को बनाएं अपने जीवन का हिस्सा प्रकृति को बनाएं अपने जीवन का हिस्सा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/TYXzG_Tyt1599137166414/crp_1599138674.jpg)
प्रकृति को बनाएं अपने जीवन का हिस्सा
इनसान अपने को फिट रखने के लिए क्या-क्या नहीं करता। कभी जिम, कभी योगा, कभी टहलना तो कभी वे तमाम साधन अपनाता है, जिससे कि वह फिट रह सके। वह इस भागदौड़ में यह भूल जाता कि वह यदि अपना जीवन प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप जिए, तो एक स्वस्थ जीवन जी सकता है। प्रकति के अनुसार रहन-सहन, खानपान, व्यायाम, यानी एक सुचारू और संपूर्ण दैनिक जीवनचर्या
![फिटनेस को बनाएं मूल मंत्र फिटनेस को बनाएं मूल मंत्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/u_fgFB2eb1599133493427/crp_1599138676.jpg)
फिटनेस को बनाएं मूल मंत्र
बहुत बातें करते हुए भी फिटनेस हमारी प्राथमिकता कभी नहीं रही। हां, जब-जब हमारे ऊपर 'कोरोना'-जैसा महामारी के रूप में कोई संकट आता है, तो हम फिर इस शब्द के अर्थ टटोलने लगते हैं। लेकिन यह आज की और हमेशा की भी सच्चाई है कि बिना फिट हुए हम किसी भी बीमारी से नहीं लड़ सकते। किसी भी बीमारी या महामारी से लड़ने का पहला हथियार आपकी फिटनेस है। आपके इम्यून सिस्टम का मजबूत होना है। अगर आप सेहतमंद हैं, तो किसी भी भी बीमारी से अपने आपको काफी हद तक बचा सकते हैं
![सिर्फ और सिर्फ फिटनेस सिर्फ और सिर्फ फिटनेस](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/c2zTj6b9r1599133202091/crp_1599138679.jpg)
सिर्फ और सिर्फ फिटनेस
पिछले छह-सात महीनों में लोगों को यह बात अच्छी तरह समझ आ गई है कि-'पहला सुख निरोगी काया है।' इस ज्ञान के पीछे का आधार है-'कोरोना।'
![शिक्षा नीति और हिंदी के सामने चुनौतियां शिक्षा नीति और हिंदी के सामने चुनौतियां](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/JbkXcV47a1599138048129/crp_1599138678.jpg)
शिक्षा नीति और हिंदी के सामने चुनौतियां
नई शिक्षा नीति ने शिक्षा व्यवस्था में सार्थक बदलाव की बड़ी उम्मीद जगाई है। अंग्रेजी मोह में नौनिहालों की मौलिकता नष्ट हो रही थी और वे रदंतू बनते जा रहे थे, पर नई शिक्षा नीति ने मातृभाषा को शैक्षिक आधार में रखा है। इस महत्त्वाकांक्षी शिक्षा नीति को संकल्प के साथ लागू करना सबसे बड़ी बात होगी
![हमारा दुश्मन नंबर एक हमारा दुश्मन नंबर एक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/512244/I0WPnY_l51599135689332/crp_1599138683.jpg)
हमारा दुश्मन नंबर एक
आप या आपके घरवाले आपके मोटापे को देखकर भले ही खुश हो लें कि यह तंदुरुस्ती की निशानी है, लेकिन यह सच्चाई नहीं है। मोटापा बहुत सारी बीमारियों की जड़ है। इधर पिछले कुछ महीनों में जो हालात बने हैं, उसने इस बीमारी को और भी बढ़ा दिया है। मोटा व्यक्ति एक सेहतमंद व्यक्ति के मुकाबले किसी भी बीमारी की चपेट में जल्दी आता है
![..ताकि खुली सांस ले सके बचपन ..ताकि खुली सांस ले सके बचपन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/Cb49ZYmJZ1596622587598/crp_1596633941.jpg)
..ताकि खुली सांस ले सके बचपन
इनसान की जिंदगी का सबसे खूबसूरत पड़ाव बचपन होता है। वही बचपन आज खतरे में है। उसकी आजादी खतरे में है। इसे बचाना जरूरी है। हमें इसे भाषणों से बाहर निकालना होगा। हमें बच्चों को केंद्र में रखकर नीतियां और बजट बनाने होंगे। यह बेहद जरूरी है
![आजादी के पड़ाव आजादी के पड़ाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/JSAHLiiac1596619941648/crp_1596633942.jpg)
आजादी के पड़ाव
73 साल! कम नहीं होते इतने साल। एक भरी-पूरी जिंदगी कही जा सकती है। अगर बात किसी इनसान की उम्र की हो तो! लेकिन बात जब किसी देश की हो, उसकी आजादी की हो तो...?
![कब मिलेगी सामाजिक संघर्ष से आजादी कब मिलेगी सामाजिक संघर्ष से आजादी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/4jLpym6Cj1596621496424/crp_1596633943.jpg)
कब मिलेगी सामाजिक संघर्ष से आजादी
राजनीतिक रूप से हम तिहत्तर साल पहले आजाद हो गए हैं। लेकिन क्या सिर्फ राजनीतिक रूप से आजाद हो जाना ही मुकम्मल आजादी है। सबसे बड़ी बात, क्या हम अपनी सोच में आजाद हुए हैं? क्या सामाजिक आजादी भी हमारे लिए उतने ही मायने रखती है, जितनी राजनीतिक
![गरीबी ही गुलामी गरीबी ही गुलामी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/oSpjxMnTY1596623234373/crp_1596633945.jpg)
गरीबी ही गुलामी
गरीब आज भी गुलाम हैं, अपनी गरीबी के आजादी के बाद हुए हर चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा लगता है, लेकिन गरीब और गरीबी हटती ही नहीं। अंतिम आदमी आज भी अंतिम पायदान पर खड़ा है। देखना है कि कब वह आगे आकर सही मायनों में आजाद होता है -
![चंद लोगों की आंखों का नूर नहीं चंद लोगों की आंखों का नूर नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/DElaDtRNN1596620975235/crp_1596633946.jpg)
चंद लोगों की आंखों का नूर नहीं
आजादी तीन शब्दों का नामभर नहीं है। आजादी चंद लोगों की आंखों की रोशनीभर नहीं है। आजादी मुट्ठीभर लोगों के पेट की भूख नहीं है। आजादी पूरे देश की है। आजादी, तब तक संपूर्ण आजादी नहीं है, जब तक कि वह पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक न पहुंचे। पड़ाव-दर-पड़ाव तय करती हुई हमारी आजादी कहां तक पहुंची है, यह देखने और समझने की बात है
![मुक्त चिंतन अभिव्यक्ति और आचरण मुक्त चिंतन अभिव्यक्ति और आचरण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/_Fe11FH_41596628052940/crp_1596633948.jpg)
मुक्त चिंतन अभिव्यक्ति और आचरण
कृष्णनाथजी अद्भुत विचारक थे। कमाल के यायावर! वे आजाद खयालों की शख्सीयत थे। अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा घुमक्कड़ी में लगाया और चिंतन करते रहे। आजादी पर उन्होंने अपनी तरह से विचार किया है
![चुनावी राजनीति में जकड़ी आजादी चुनावी राजनीति में जकड़ी आजादी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/-6XO0hvUL1596620040360/crp_1596633953.jpg)
चुनावी राजनीति में जकड़ी आजादी
संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारी आजादी का खूबसूरत पहलू है। लेकिन चुनावी राजनीति इसे चुनौती दे रही है। चुनावी राजनीति के बनते-बिगड़ते गठजोड़ ने जहां हमारे लोकतंत्र को परिपक्व बनाया है, तो कुछ सवाल भी खड़े किए हैं
![समझने होंगे आजादी के मायने समझने होंगे आजादी के मायने](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/9aHI4_A8i1596620161060/crp_1596633949.jpg)
समझने होंगे आजादी के मायने
आजादी के इतने वर्षों में हमने आजादी के बहुत-से रूप देखे हैं और देख रहे हैं। रूप चाहे कोई भी हो, लेकिन आजादी के असल मायने समझने अभी बाकी हैं। इतनी लंबी यात्रा में हम इतने अनुभवी तो हुए ही हैं कि यह उम्मीद कर सकें कि हम आजादी के असली मायने समझ सकेंगे
![सांप्रदायिकता से मुक्त भारत सांप्रदायिकता से मुक्त भारत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/LMtvxM9j_1596625247623/crp_1596633951.jpg)
सांप्रदायिकता से मुक्त भारत
आजादी मिलने और विभाजन के बाद सोचा गया था कि इस देश में सांप्रदायिक मसले शायद नहीं रहेंगे और हमारा देश प्रेम, सौहार्द के रास्ते पर आगे बढ़ेगा, पर इस काम में सफलता मिलने के बजाय हम लगातार विफल होते दिखाई दिए हैं। सांप्रदायिकता से मुक्ति की राह में अभी काफी शिद्दत से काम किए जाने की जरूरत है
![हम क्यों खफा-खफा से है। हम क्यों खफा-खफा से है।](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/pOlnBPccr1596622033183/crp_1596633956.jpg)
हम क्यों खफा-खफा से है।
इन तिहत्तर वर्षों में हमने बहुत कुछ पाया है। बहुत कुछ पाना बाकी है, लेकिन इस पाने के बीच हमें बहुत सारी चीजों से मुक्ति पाना भी बाकी है। ये वे बाधाएं हैं, जो हमारी असली आजादी के बीच बाधक है।
![हमारी सीमाएं एक चुनौती हैं हमारी सीमाएं एक चुनौती हैं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/495540/QzdyaMh_A1596623734808/crp_1596633954.jpg)
हमारी सीमाएं एक चुनौती हैं
आज वैश्विक स्तर पर दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। इस बदलते परिवेश में राजनीतिक-आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामरिक रूप से ताकतवर होना किसी भी देश को बहुत जरूरी है। हमारे सामने भी यह चुनौती है। एक तरफ पाकिस्तान, तो दूसरी तरफ चीन हमें लगातार चनौती दे रहे हैं। हमें न केवल इनसे निपटना है, बल्कि विश्व पटल पर खुद को मजबूती से पेश भी करना है। देखनेवाली बात यह है कि हम इसके लिए कितना तैयार हैं
![और बदलेगी दुनिया और बदलेगी दुनिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/4Kh9laJAJ1594292544049/crp_1594297694.jpg)
और बदलेगी दुनिया
आजकल पूरी दुनिया अपने आपको थोड़ा- थोड़ा रोज बदल रही है। यह बदलना हर स्तर पर जारी है। चाहे वह व्यक्ति के रूप में हो या फिर समाज के स्तर पर। चाहे वह चलना-फिरना हो, आना-जाना हो, रहन- सहन, खान-पान हो या फिर तौर-तरीके या सलीके। सब कुछ बदल रहे हैं।
![...कल फिर बदलेगी दुनिया ...कल फिर बदलेगी दुनिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/rMWdYmnZ41594292687036/crp_1594297688.jpg)
...कल फिर बदलेगी दुनिया
दुनिया बदलती है। कभी अपने आप से, कभी किसी कारण से। आज यह कोरोना वायरस और लॉकडाउन से पैदा हुए हालात से बदल रही है। कहां तक बदलेगी, कोई नहीं जानता। हां, इसके बदलने की शुरुआत हो चुकी है
![ऑफिस आखिर कितना ऑफिस ऑफिस आखिर कितना ऑफिस](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/9cub0jCe01594295432046/crp_1594297687.jpg)
ऑफिस आखिर कितना ऑफिस
हालात ने लोगों को घरों में कैद कर दिया। और बहुत लोगों के लिए घर ही ऑफिस हो गया। भले ही इसके पीछे मजबूरी थी। लेकिन यह मजबूरी कहीं जरूरत न बन जाए। एक बात तय है कि अब ऑफिस का पूरा अंदाज बदलेगा। ऑफिस का बड़ा हिस्सा अब घर हो सकता है।
![घर अब घर नहीं रहेगा! घर अब घर नहीं रहेगा!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/KWv5Er8Z41594293522079/crp_1594297699.jpg)
घर अब घर नहीं रहेगा!
सुकून पाने के लिए इनसान अपने घर जाता है। आज यही इनसान अपने-अपने घरों में है तो, लेकिन यहां सुकून नहीं एक अनजाना डर है। इस डर का विस्तार कोरोना वायरस से लेकर नौकरी जाने तक का है। भुखमरी, बेरोजगारी ने जैसे आदमी ही नहीं, पूरे घर के चैन को छीन लिया है। सब साथ-साथ रहते हैं, लेकिन डरे-सहमे से कुछ शिकायतों के साथ
![नए अवसर नई चुनौती नए अवसर नई चुनौती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/YWEKJ4g3N1594292212042/crp_1594297695.jpg)
नए अवसर नई चुनौती
कोई भी आपदा सिर्फ संकट लेकर ही नहीं आती, अवसर लेकर भी आती है। यह हम पर है कि हम उसका उपयोग कैसे और कितना कर पाते हैं? इन अवसरों के रास्ते में चुनौतियों की कमी नहीं होती, लेकिन इससे पार पाकर ही एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण होता है
![नए तौर-तरीकों की सिनेमाई दुनिया नए तौर-तरीकों की सिनेमाई दुनिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/kk5H1GBOQ1594294975285/crp_1594297698.jpg)
नए तौर-तरीकों की सिनेमाई दुनिया
कोरोना से सबसे ज्यादा नुकसान थिएटर और सिनेमा को हुआ है। भीड़भाड़ के बिना इस माध्यम की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। बदले हालात में उसे भी बदलना है। शुरुआत हो चुकी है। अब नए तौर-तरीकों और तेवर वाला होगा सिनेमा
![बदला-बदला सा होगा मिजाज बदला-बदला सा होगा मिजाज](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/IjWd5SuNQ1594294186537/crp_1594297697.jpg)
बदला-बदला सा होगा मिजाज
साफ नदियां, साफ हवा, सुबह उठते ही पक्षियों की चहचहाहट-ये देन है लॉकडाउन की। प्रकृति के लिए तो यह कम-से-कम वरदान ही साबित हुआ है। देखनेवाली बात यह होगी कि प्रकृति का यह बदला-बदला मिजाज कब तक कायम रहता है
![बदली-बदली-सी होगी यह दुनिया बदली-बदली-सी होगी यह दुनिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/5511/477980/9Og6NOtUD1594291067802/crp_1594297690.jpg)
बदली-बदली-सी होगी यह दुनिया
कोरोना और लॉकडाउन से बहुत कुछ बदल रहा है। इनसान के रहन-सहन से लेकर उसके काम करने का ढंग तक बदला है। लॉकडाउन पूरी तरह खत्म होने के बाद हमारे सामने जो दुनिया होगी, वह बहुत कुछ नई-नई-सी और बदली हुई होगी। यह बदलाव कैसा होगा, यह तो आनेवाला समय ही बताएगा। लेकिन यह तय है कि अभी बहुत कुछ बदलेगा