नींबू अपने स्वाद, खुशबू एवं गुणों के कारण खासा लोकप्रिय फल है। इसके फलों में विटामिन-सी के अलावा विटामिन ए, बी-1, लौह, फास्फोरस, कैल्शियम के साथ ही प्रोटीन, रेशा, वसा, खनिज एवं शर्करा भी मौजूद होती है। फलों का उपयोग स्क्वैश, कोर्डियल, सलाद को सजाने, अचार बनाने एवं सब्जी का स्वाद बढ़ाने में किया जाता है। फलों में किस्मों के हिसाब से 42 से 50 प्रतिशत तक रस पाया जाता है। नींबू का रस पीने से शरीर में ताजगी एवं स्फूर्ति का भाव पैदा होता है इसी वजह सें गर्मियों में इससे तैयार शर्बत का प्रचलन अधिक है। फलों के छिलकों को सुखाकर भी विभिन्न तरह के सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद तैयार किए जाते है। नींबू की इन्हीं विशेषताओं के कारण फलों की मांग लगभग सालभर बनी रहती है।
जलवायु एवं भूमि : इसका पौधा सहिष्णु प्रवृत्ति का होता है जो कि विपरीत परिस्थितियों में भी सहजता से पनप जाता है। शुष्क जलवायु वाले ऐसे क्षेत्र जहां औसत तापमान 13-37 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य रहता हो एवं पाले का प्रकोप कम रहता हो सर्वोत्तम है। समुचित जल निकास वाली मृदायें जिनका पी.एच. 5.5 से 7.5 के मध्य हो उत्तम मानी जाती है। 8.2 पी.एच. वाली मृदाओं में भी इसकी खेती की जा सकती है। लवणीय एवं अधिक चूनायुक्त मृदाएं इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है क्योंकि इस प्रकार की मृदायें नींबू में सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी ला सकती है। मृदा में 1-1.5 मीटर की गहराई तक किसी प्रकार की सख्त तह नहीं होनी चाहिए।
किस्में
रसराज : यह एक अंतरजातीय बहुभ्रुणीय संकर किस्म है। इस किस्म का विकास भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलूरू द्वारा किया गया है। फल पीले रंग के जिनका छिलका पतला, औसत वजन लगभग 55 ग्राम, 70 प्रतिशत रस एवं 12 बीज होते हैं। यह जीवाणिक कैंकर रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है।
एन.आर.सी.सी. नींबू-7 : इस किस्म का विकास केन्द्रीय नींबूवर्गीय फल अनुसंधान संस्थान, नागपुर द्वारा किया गया है। यह एक अधिक उपज देने वाली किस्म है जिनके फलों का रंग आकर्षक पीला, औसत वजन 48 ग्राम, 8 सें 9 बीज, अम्लीयता 7.05 प्रतिशत, रस 50.50 प्रतिशत होता है।
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।