अच्छी पैदावार करने के बाद प्रसन्न होकर आराम से बैठने का समय नहीं बल्कि तुड़ाई के उपरांत यातायात के बहुत ही सावधानीपूर्वक कार्य के लिए तैयार होना है। अच्छी फसल का अच्छा मूल्य तभी मिलेगा यदि तुड़ाई के उपरांत फल एवं सब्जियां खरीददार को शुद्ध रूप में मिलें।
गुणवत्ता भरपूर एवं खान-पान में सुरक्षा दो बड़े मुद्दे हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि आपकी फसल विदेश में अथवा अपने देश की बड़ी मंडियों में अथवा घरेलू स्थानीय मंडी में ठेलों पर बिकने लायक है। आमतौर पर यह माना जाता है कि फल एवं सब्जियां पैदा करने वाले क्षेत्र से जितनी दूर की बड़ी मार्किट में मंडीकरण किया जाए, उतना ही अधिक मूल्य मिल सकता है। परन्तु ऐसा कहना आसान है, करने के लिए कठिन परिश्रम एवं हिसाबकिताब की आवश्यकता होती है। विशेष तौर पर यह जानते हुए कि फल एवं सब्जियां अधिक नमी होने के कारण शीघ्र खराब हो जाती हैं अथवा मंडीकरण योग्य नहीं रह जाती। इसलिए गुणवत्ता भरपूर, रोगों से रहित एवं लंबे समय तक शुद्ध रहने वाली फल एवं सब्जियां न सिर्फ अच्छे बीज एवं काश्तकारी का परिणाम हैं बल्कि तुड़ाई के बाद उचित रखरखाव भी बराबर का हिस्सा डालती है।
तुड़ाई के दौरान निम्नलिखित नुक्ते ध्यान में रखें :
* तुड़ाई के बाद फसल/पैदावार की गुणवत्ता तो बढ़ाई नहीं जा सकती परन्तु इसको तुड़ाई के समय गुणवत्ता को लंबे समय तक बचा कर रखा जा सकता है।
* दिन के ठंडे समय जैसे कि सुबह या शाम को ही सब्जियां एवं फलों की तुड़ाई की जाए। यदि ऐसा करना संभव न हो तो तुड़ाई के बाद शीघ्र ही फल एवं सब्जियों को हवादार, छाया वाले स्थान पर (वृक्षों की छांव) रखा जाए। इस तरह तोड़ी गई फसल के तापमान में 80 सैंटीग्रेड से 170 सैंटीग्रेड तक की कमी हो जाती है। जो कि तुड़ाई के बाद की क्वालिटी के लिए बहुत ही अहम है।
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।