जैविक खेती से गुणवत्तायुक्त उत्पादन लें
Modern Kheti - Hindi|1st August 2023
जैविक खेती मुख्यतः फसल चक्र, फसल अवशेष, पशु खाद, हरी खाद, प्रक्षेत्र खाद, कम्पोस्ट, जैव उर्वरक, केंचुए की खाद, मृदा आरक्षक फसलें, खलियां तथा कार्बनिक पदार्थों के प्रयोग पर स्थिर है तथा भूमि की उर्वरता को स्थिर रखने, वृद्धि पोषक तत्वों की पूर्ति करने तथा कीट व्याधियों एवं खरपतवारों के नियंत्रण के लिए जैव पीडक प्रणाली पर विश्वास रखती है।
डॉ. रविन्द्र कुमार राजपूत, श्रीमती ज्योति वर्मा, प्रदीप राजपूत, डॉ. नन्दराम
जैविक खेती से गुणवत्तायुक्त उत्पादन लें

हरित क्रांति में उन्नत प्रजातियों के प्रचार व प्रसार के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग होने पर मृदा की उपजाऊपन में बहुत कमी आई है, जो कि अब उतनी उत्पादक नहीं रह गई है, जितनी कि पहले थी। आज इस बात की पहल जरूरी है कि खाद्यान्न को गुणवत्ता युक्त बनाया जाए तथा अन्य उत्पादन की जैविक खेती के द्वारा सुधारा जाये जिसके लिए जैविक खेती आवश्यक है। कृषि उत्पादन में भूमि की उर्वरा शक्ति का अधिक महत्व है। भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाये रखना कार्बनिक खादों से ही संभव है, जिसमें कि अधिक गौड एवं सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, जिनकी आवश्यकता पौधों को होती है जिससे मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार भूमि की उर्वरता बनाये रखने तथा फसल उत्पादन बढ़ाने में कार्बनिक खादों का विशेष महत्व है। जैविक खेती भारतीय कृषि में आदिकाल से जुड़ी हुई है। जैविक खेती उन पद्धतियों में से एक है जो कि विस्तृत एवं विभिन्न प्रकार की होने के साथ-साथ कृषि में स्थानीयपन, वातावरण को सुरक्षित रखने, जैव विविधता में बढ़ावा देने तथा लागत खर्चों को कम करने में सहायक है। जैविक खेती मुख्यतः फसल चक्र, फसल अवशेष, पशु खाद, हरी खाद, प्रक्षेत्र खाद, कम्पोस्ट, जैव उर्वरक, केंचुए की खाद, मृदा आरक्षक फसलें, खलियां तथा कार्बनिक पदार्थों के प्रयोग पर स्थिर है तथा भूमि की उर्वरता को स्थिर रखने, वृद्धि पोषक तत्वों की पूर्ति करने तथा कीट व्याधियों एवं खरपतवारों के नियंत्रण के लिए जैव पीडक प्रणाली पर विश्वास रखती है।

जैविक खेती का भविष्य भारत में बहुत ही उज्जवल है। जैविक खेती के द्वारा ही भोज्य पदार्थों की गुणवत्ता को बनाये रखा जा सकता है, जिसके द्वारा ही हम अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना कर सकते हैं। जैविक उत्पादित खाद्य पदार्थों की बाजार में कीमत अच्छी मिलने की सम्भावना है जिसे किसान आने वाले समय में उत्पादित कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं

जैविक खेती करने के सिद्धांत 

1. फसल चक्र में दलहनी तथा अदलहनी फसलों का प्रयोग करना।

2. मिश्रित खेती के रूप में सघन फसल पद्धति अपनाना।

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