![जिप्सम का फसलों में महत्व एवं उपयोग जिप्सम का फसलों में महत्व एवं उपयोग](https://cdn.magzter.com/1344336963/1696314141/articles/oZynxwTSv1696503330433/1696503728300.jpg)
जिप्सम खनिज गैर विषैला होता है। यह एक बहुत ही सामान्य सल्फेट है। यह जानवरों, मनुष्यों, पौधों के लिए उपयोगी है। जिप्सम कैल्शियम और गंधक का एक उत्तम एवं अच्छा स्रोत है। जिप्सम पाउडर को मिट्टी में मिलाने से वह मिट्टी में घुलने लगता है और कैल्शियम एवं सल्फेट पोषक तत्व छोड़ने लगता है। यह पानी में जल्दी से घुल जाता है और मिट्टी में जड़ों तक जल्दी से पहुँच जाता है। जिप्सम फर्टिलाइजर मिट्टी के पीएच में कोई खास परिवर्तन नहीं करता है। यह सस्ता और सुलभ हैं। यह भूमि सुधारक के साथ साथ कैल्शियम और सल्फर का मुख्य स्त्रोत होने के कारण मिट्टी को कैल्शियम और सल्फर जैसे द्वितीयक पोषक तत्व प्रदान करता है। इन दिनों ज्यादातर मिट्टी में इन दोनों तत्वों की भारी कमी है जिसके कारण पैदावार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। यह जल में घुलनशील होता है।
जिप्सम का रासायनिक सूत्र : जिप्सम का रासायनिक नाम कैल्शियम सल्फेट डाईहाइड्रेट है, इसमें 23.3 प्रतिशत कैल्शियम और 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है। जिप्सम का रासायनिक सूत्र CaSO 2HO है रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट डाईहाइड्रेट के रूप में जाना जाता है। इसमें पानी, ऑक्सीजन से जुड़ा कैल्शियम सल्फेट होता है। जिप्सम का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है। जिप्सम मिट्टी के कटाव को रोकता है, मिट्टी की संरचना में सुधार करता है, पानी और हवा की आवाजाही में मदद करता है और जड़ वृद्धि को सुविधाजनक बनाता है। जिप्सम देने से मृदा में पोषक तत्वों सामान्यतः नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटैशिय, कैल्शियम तथा सल्फर की उपलब्धता में वृद्धि हो जाती है। जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्त्रोत है जो कार्बनिक पदार्थों को मृदा के क्ले कणों से बाँधता है जिससे मृदा कणों में स्थिरता प्रदान होती है तथा मृदा में वायु का आवागमन सुगम बना रहता है। जिप्सम मिट्टी में हानिकारक लवणों की मात्रा को बढ़ने नहीं देता है, जिससे जमीन भुरभुरी और उपजाऊ बनती है। जिप्सम में 13.5 प्रतिशत गंधक तथा 19 प्रतिशत कैल्शियम तत्व पाये जाते हैं। क्षारीय भूमि सुधार हेतु मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर जिप्सम का उपयोग कर मिट्टी की दशा सुधारी जा सकती है।
जिप्सम का उपयोग
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![भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता... भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/gJ7a4gxAT1739793975576/1739794973758.jpg)
भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता...
\"यदि पृथ्वी बीमार है तो यह लगभग निश्चित है तो हमारा जीवन भी बीमार है। यदि हम मनुष्य के अच्छे जीवन व स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो यह बहुत आवश्यक है कि भूमि के स्वास्थ्य को ठीक करना भी बहुत आवश्यक है, मॉडर्न तकनीकों ने भूमि के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाला है। इस पृथ्वी पर जैसा भी जीवन है यद्यपि स्वस्थ है या अस्वस्थ है यह भूमि की उपजाऊ शक्ति/अर्थात भूमि के स्वास्थ्य पर ही निर्भर करता है क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर भोजन पदार्थ धरती में से ही आ रहे हैं। प्रसिद्ध विज्ञानी कारले इस लक्ष्य पर पहुंचा कि कैमिकल फर्टीलाइज़र भूमि के स्वास्थ्य को रासायनिक खादें सुरक्षित नहीं रख सकते। यह रसायन भोजन अथवा भूमि में स्थिर हो जाते हैं सिर्फ कार्बनिक पदार्थ ही भूमि के स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं।\"
![बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला? बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/cflbvMwl-1739792128662/1739792332361.jpg)
बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को अपने बहुप्रतीक्षित बजट भाषण में कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कम से कम नौ नए मिशन या कार्यक्रमों की घोषणा की और भारत को \"विश्व का खाद्य भंडार\" बनाने में किसानों की भूमिका को स्वीकार किया।
![आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें? आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/uF71eq31W1739795002943/1739795615768.jpg)
आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें?
आंवला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक महत्व का फल वृक्ष है। औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर आंवले के फल प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। इसका वानस्पतिक नाम एम्बलिका ओफीसीनेलिस है।
![जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/bGzMHO3g21739792613249/1739792715291.jpg)
जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप
नासा के वैज्ञानिकों ने लगभग 20 सालों का अवलोकन करके पाया कि दुनिया भर में जल चक्र तेजी से बदल रहा है। इनमें से अधिकांश खेती जैसी गतिविधियों के कारण हैं, इनका कुछ इलाकों में पारिस्थितिकी तंत्र और जल प्रबंधन पर प्रभाव पड़ सकता है।
![कृषि क्षेत्र में बढ़ा रोजगार कृषि क्षेत्र में बढ़ा रोजगार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/zxaRA7qF-1739792348948/1739792458659.jpg)
कृषि क्षेत्र में बढ़ा रोजगार
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भले ही रोजगार की उजली तस्वीर पेश की गई है, लेकिन इसने सेवा और निर्माण क्षेत्र में रोजगार घटने और कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की बात कर यह साबित कर दिया है। कि सरकार कृषि क्षेत्र के रोजगार को दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित करने में विफल साबित हुई है।
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गेहूं फसल की सिंचाई कब और कैसे करें?
भारत में गेहूं की फसल शरद ऋतु में उगाई जाती है जो कि लगभग 130 दिन का फसल चक्र पूरा करती है। असिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसलावधि मध्य अक्टूबर से मार्च माह के बीच होती है और सिंचित क्षेत्रों में यह अवधि मध्य नवम्बर से मार्च से अप्रैल के बीच होती है। भारत में गेहूं की फसल मुख्य रुप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों में होती है।
![पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/HbWtREl3j1739795663249/1739795968901.jpg)
पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व
शरीर की प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। इसके सही संतुलन से विशेष प्रकार की बिमारियों से बचा जा सकता है।
![फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/4a725btXc1739792465599/1739792600239.jpg)
फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका
एक नए शोध में दिखाया गया है कि पौधों में नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ) के स्तर को कम करने से धान की फसल और अरेबिडोप्सिस में नाइट्रोजन अवशोषण और नाइट्रोजन के सही उपयोग या नाइट्रोजन यूज एफिशिएंसी (एनयूई) में बहुत ज्यादा सुधार हो सकता है।
![जितना प्राकृतिक खेती पर जोर, उतना बजट नहीं .. जितना प्राकृतिक खेती पर जोर, उतना बजट नहीं ..](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/KWLYeQZqG1739792064930/1739792121321.jpg)
जितना प्राकृतिक खेती पर जोर, उतना बजट नहीं ..
पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की खूब बातें हो रही हैं। केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती पर काफी जोर दे रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के बजट के आंकड़े देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के मामले में खास उत्साहजनक नजर नहीं आते।
![वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/44qWsj-c41739793690363/1739793937678.jpg)
वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती
परिचय : भिंडी सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है, जिसे लोग लेडीज़ फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। भिंडी का वैज्ञानिक नाम एबेलमोलकस एस्कुलेंटस (Abelmoschus esculentus L.), कुल / परिवार मालवेसी तथा उत्पत्ति स्थान दक्षिणी अफ्रीका अथवा एशिया माना जाता हैं।