भारत देश की सत्तर फीसदी आबादी खेती पर निर्भर हैं। एक व्यक्ति अपने मुख्य व्यवसाय के साथ-साथ अतिरिक्त व्यवसाय के रूप में सब्जियों का उत्पादन कर सकता है। कृषक लोग सब्जियों को अन्य खाद्यान्नों की अपेक्षा थोड़ी सी जगह जैसे: छत के ऊपर, घर के पिछवाड़े में, गमलों, प्लास्टिक के लिफाफों, बगीचे के किनारे (लान में), लकड़ी के डिब्बों, आंगन इत्यादि में भी उगा सकते हैं। सब्जियों की बहुत सी फसलें (लक्ष) एक ही वर्ष में अलग-अलग समय पर उगाई जा सकती हैं जबकि खाद्यान्नों की फसलों में तो कृषक एक साल के बाद ही दुबारा फसल बो सकते हैं जो कि उसकी अच्छी आय में विशेष सहयोगी साबित नहीं होती है। यहां तक कि पत्तेदार सब्जियों जैसे, पालक, मूली, धनिया की खेती एक वर्ष में 10-12 बार भी उगा सकते हैं।
भोजन में सब्जियों का महत्वः मानव आहार में सब्जियों का विशेष महत्व है। जो सन्तुलित आहार एवं स्वास्थ्य के अनुरक्षण के लिए आवश्यक होती है। मांस, पनीर तथा अन्य वसीय खाद्यों के पाचन के दौरान बने अम्लों को निष्प्रभावित करने के लिए सब्जियों का सेवन अतिआवश्यक है। ये कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन्स और खनिज तत्वों की पूर्ति भी करती है, जो शरीर की अनिवार्य आवश्यकताएं हैं। यदि उचित ढंग से नियमपूर्वक इनका उपयोग किया जाए तो किसी भी सौन्दर्य प्रसाधन के प्रयोग की अपेक्षा इनमें त्वचा अधिक साफ व नरम और आँखें ओजवान बनती हैं तथा शरीर को बीमारियों से भी रक्षा करने में मददगार साबित होती हैं। पत्तेदार हरी शाक, सब्जियां शरीर के उचित विकास एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक होती हैं। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व पाये जाते हैं। सब्जियों में निम्नलिखित तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। निम्नवत तत्व प्रदान करती है।
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।