गेहूँ की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, लक्षण और उपचार
Modern Kheti - Hindi|January 15, 2024
लगभग पांच दशक पहले जब से हरित क्रांन्ति का आगमन हुआ है तब से हमारे किसान भाई अधिक उपज वाली फसलों का उत्पादन निरन्तर करते आ रहे हैं। परन्तु जिस गति से मृदा से पोषक तत्वों का शोषण हो रहा है उस गति से हम खेत में उनकी आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।
डॉ. अल्पना पौल, डॉ. अनुपमा वर्मा, डॉ. रविन्द्र कुमार राजपूत, डॉ. नन्द राम राजपूत
गेहूँ की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, लक्षण और उपचार

इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति में निरन्तर कमी होती जा रही है। प्रारम्भ में तो मात्र प्राथमिक पोषक तत्वों की न्यूनता का आभास हुआ था परन्तु वर्तमान में अनेकों सूक्ष्म तत्वों की भी कमी के लक्षण गेहूं की फसल पर दृष्टिगोचर होने लगे हैं। धान-गेहूँ के फसल चक्र को निरन्तर अपनाने से इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से गेहूं की फसल की उत्पादकता प्रभावित हो रही है। सामान्यतया हमारे देश के किसान धान की फसल में कुछ सूक्ष्म तत्वों जैसे जिंक आदि का प्रयोग तो करते हैं परन्तु धान के बाद उगाई जाने वाली गेहूँ की फसल में सूक्ष्म तत्वों की कमी के बावजूद उनका प्रयोग करने में कोताही करते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों की न्यूनता के कारण गेहूँ की उपज में जहाँ 15 से 20 प्रतिशत की कमी पायी गयी है वहीं दूसरी ओर फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। रबी फसलों में गेहूँ का मुख्य स्थान है। यद्यपि हमारे देश में हरित क्रान्ति के बाद गेहूँ के उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई है फिर भी उत्पादन के वांछित लक्ष्य को प्राप्त करने में अभी भी हम पीछे हैं। गेहूँ की फसल से भरपूर वार प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि हमारे किसान भाई उन्नतशील प्रजातियों, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग एवं सिंचाई पर अपना ध्यान प्रमुख रूप से केन्द्रित करें। जहाँ तक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग का प्रश्न है किसानों द्वारा गेहूँ की फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश का प्रयोग तो किया जा रहा है परन्तु सूक्ष्म पोषक तत्वों को नजरन्दाज कर दिया जाता है। सूक्ष्म पोषक तत्वों में लोहा, जस्ता, कॉपर, मालिब्डेनम, बोरॉन एवं मैंगनीज आदि का शोषण गेहूँ की फसल द्वारा किया जाता है। सामान्य रूप से गेहूँ की एक हैक्टेयर फसल से 200-250 ग्राम बोरॉन, 250-300 ग्राम कॉपर, 400-600 ग्राम जस्ता, 15-35 ग्राम मालिब्डेनम, 20003500 ग्राम लोहा तथा 375-425 ग्राम मैगनीज का शोषण किया जाता है। गेहूँ की फसल में सूक्ष्म मात्रिक तत्वों की कमी के कई लक्षण पौधों पर दृष्टिगोचर होने लगते हैं जिनका विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है।

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