फसलों के उत्पादन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी तभी सम्भव है, जब किसान उन्नत वैज्ञानिक कृषि विधियों को अपनाने के साथ-साथ उच्च कोटि के लागतों का भी प्रयोग करें। आधुनिक कृषि में बढ़िया बीज का स्थान सर्वोपरि है। अन्य लागत चाहे कितनी ही उत्कृष्ट क्यों न हों, यदि बीज में जरा भी दोष होगा, तो किसान भाइयों को समूचा प्रयत्न एवं व्यय व्यर्थ हो जाता है। उन्नत बीज से आशय उन बीजों से है, जो आनुवंशिक रूप से शुद्ध होने के अतिरिक्त ओज एवं आवश्यक अंकुरण क्षमता से युक्त हों तथा उनमें खरपतवार एवं से अन्य फसलों के बीज बिल्कुल भी न हों। बीजों की गुणता व शुद्धता की पुष्टि बीज परीक्षण के द्वारा ही सम्भव है।
अतः यह आवश्यक है कि बीज उत्पादकों एवं बीज परीक्षण अभिकरणों के कर्मियों को बीज परीक्षण मानकों की समुचित जानकारी हो और उन्हीं के आधार पर बीजों की जांच कराई जाये, जैसे ही रबी फसल बोने का समय आता है, तो किसान भाई जल्दबाजी में कहीं से भी बीज का प्रबंध करके जल्दी से जल्दी खेत में बो देते हैं। ऐसे में किसान भाई बीज बोने से पूर्व की महत्वपूर्ण बातों को नजर अंदाज कर जाते हैं जिसका परिणाम होता है कम उपज एवं अधिक हानि होती है। जब तक किसान भाई बीज को स्वस्थ तथा उत्तम आनुवंशिक से युक्त बीज का चुनाव नहीं करेंगे, तब तक उत्तम उपज प्राप्त नहीं कर सकते हैं। खराब बीज के चुनाव से उपज में 30-40 प्रतिशत तक की हानि हो जाती है। अच्छे फसल उत्पादन के लिए आवश्यक है कि बीज को बोने से पूर्व कुछ सावधानियाँ बरती जायें तो उपज में होने वाली हानि से बहुत हद तक बचा जा सकता है।
बीज बोने के पूर्व निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए -
1. बीज खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि बीज हमेशा विश्वसनीय संस्था से ही लेना चाहिए और यदि ऐसा नहीं हो पाता है और बीज निजी माध्यमों से प्राप्त करना पड़े तो आपको चाहिए कि बीज अच्छी तरह से छान लें तथा धूल, कंकड़, मिट्टी, भूसा, गांठें एवं अन्य पदार्थ आदि अलग कर लें, क्योंकि यही अवशेष रोग वाहक का काम करते हैं।
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।