बसन्त ऋतु में खुरपका-मुंहपका एक बहुत शीघ्र फैलने बाला संक्रामक रोग है। जो बहुधा जुगाली करने वाले पशुओं में होते देखा गया है। गाय, भैंस, भेड़, बकरी तथा सुअरों में यह रोग खूब फैलता है। सुअरों में यह रोग बड़े भयंकर रूप से फैलता है तथा अधिकतर रोग ग्रसित पशु बहुत अधिक निर्बल हो जाते हैं, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता काफी कम हो जाती है। रोग-ग्रसित गर्भित गाय तथा भैसों के बच्चे, मादा का शरीर अधिक कमजोर होने के कारण उनके पेट में ही मर जाते हैं और इस प्रकार पशुओं का बाजार में मूल्य भी कम लगता है। इन्हीं कारणों से इस रोग से मृत्यु दर कम होते हुए भी देश की अर्थव्यवस्था को भारी हानि पहुँचती है।
कारण: यह बीमारी एक विषाणु के द्वारा, जो सात प्रकार का होता है, फैलता है। वाइरस के मुख्य तीन प्रकार 'ए' 'ओ' तथा 'सी' यूरोपियन देशों में मिलते हैं और शेष चार प्रकार एशिया, सैट 1 सेट 2 तथा सैट 3 एशिया तथा दक्षिणी अफ्रीका से खोज किये गये हैं। भारत में अभी तक ए ओ और सी के वाइरस पाये जाते हैं।
छूत लगने के ढंग
(1) रोग-ग्रसित पशुओं का लार जब किसी स्वस्थ पशु को निकट सम्पर्क से लगता है तो उसमें रोग फैल जाता है।
(2) दूषित चारा, पानी, नाँद, खाल, दूध से बने पदार्थ, बर्तन, फर्श तथा परिचारकों के कपड़ों से तुरन्त छूत लग जाती है।
(3) इस रोग से अच्छे हुए पशु कुछ दिनों तक रोग के वाइरस अपने शरीर में छिपाये रहते हैं, जिससे कि इनके सम्पर्क में आने वाले स्वस्थ पशु बीमार हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, इस रोग का वाइरस उड़ने वाली चिड़ियों के पैरों में भी चिपक जाते हैं, जो उड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान में बीमारी की छूत फैलाती है। इसका इन्क्यूवेशन अवधि 1 से 6 दिन होता है।
लक्षण
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
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मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
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ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।