![अरंडी की फसल में रोग नियंत्रण अरंडी की फसल में रोग नियंत्रण](https://cdn.magzter.com/1344336963/1730540759/articles/dKDI00EcP1730798670726/1730799153334.jpg)
इसके तेल में प्रचुर मात्रा में (93 प्रतिशत) रिसिनीलिक नामक वसा अम्ल पाया जाता जिसके कारण इसका औद्योगिक महत्व अधिक है। भारत में कुल उत्पादन का एक बड़ा भाग विदेशों में निर्यात किया जाता है। इसकी खेती गुजरात, आंध्राप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब व हरियाणा में बहुतायत से की जाती है। अरंडी की फसल में कई रोग लग जाते हैं जिससे पैदावार पर भारी प्रभाव पड़ता है। अरंडी में लगने वाले मुख्य रोग हैं -
उखटा रोग: (विल्ट) - यह रोग "फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम" कवक से होता है। लगभग 43 वर्ष पूर्व राजस्थान के सिरोही जिले में सबसे पहले पाया गया था। आजकल अरंडी उगाए जाने वाले राज्यों में यह रोग पाया जाता है।
लक्षण - शुरू में रोगी पौधों की पत्तियां गिरकर सिर्फ सिरे पर कुछ पत्तियां बाकी रहती हैं। रोग के पूर्ण लक्षण आने पर पौधे नष्ट हो जाते हैं। पौधों में पानी ले जाने वाली नलियों में फफूंद जमा हो जाती है और पौधे सूख जाते हैं। यह रोग बीज एवं भूमि जनित है।
नियंत्रण -
रोग ग्रस्त खेतों में 2-3 वर्षों तक अरंडी की फसल न बोकर रोग की उग्रता को एवं फैलाव को कम किया जा सकता है।
बीजों को कार्बण्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो या थिराम 3 ग्राम प्रति किलो से उपचारित करके बुवाई करें।
मित्र फफूंद ट्राइकोडर्मा विरिडी 10 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें तथा इसी फफूंद का 2.5 किलो प्रति हैक्टेयर गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई पूर्व भूमि में देने से रोग में कमी होती है। रोग रोधी एफ.के.पी. 16, एफ.के. पी. 23, एस. के. पी106, एस. के. पी108, एस. के. आई 80, एस. के. आई 225, जे.आई 258, 48-1, जी.सीएच 7 सूत्रकृमि उखटा रोग रोधी पाये गये हैं।
फसल चक्र में बाजरा, फिंगर मिलेट, अरहर बुवाई सेउटा रोग में कमी होती है।
जड़ गलन (रूटरोट) -
लक्षण: यह रोग मैक्रोफोमिना फेजीयोलिना नामक कवक से होता है। सभी उम्र के पौधों पर रोग लग सकता है। रोगी पौधे आसानी से भूमि से निकाले जा सकते हैं। रोगी पौधों की जड़ें सड़ी हुई काली नजर आती हैं। रोगी पौधे मर जाते हैं तथा उपज में भारी कमी होती है।
नियंत्रण -
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![भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता... भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/gJ7a4gxAT1739793975576/1739794973758.jpg)
भूमि सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता...
\"यदि पृथ्वी बीमार है तो यह लगभग निश्चित है तो हमारा जीवन भी बीमार है। यदि हम मनुष्य के अच्छे जीवन व स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो यह बहुत आवश्यक है कि भूमि के स्वास्थ्य को ठीक करना भी बहुत आवश्यक है, मॉडर्न तकनीकों ने भूमि के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाला है। इस पृथ्वी पर जैसा भी जीवन है यद्यपि स्वस्थ है या अस्वस्थ है यह भूमि की उपजाऊ शक्ति/अर्थात भूमि के स्वास्थ्य पर ही निर्भर करता है क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर भोजन पदार्थ धरती में से ही आ रहे हैं। प्रसिद्ध विज्ञानी कारले इस लक्ष्य पर पहुंचा कि कैमिकल फर्टीलाइज़र भूमि के स्वास्थ्य को रासायनिक खादें सुरक्षित नहीं रख सकते। यह रसायन भोजन अथवा भूमि में स्थिर हो जाते हैं सिर्फ कार्बनिक पदार्थ ही भूमि के स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं।\"
![बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला? बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/cflbvMwl-1739792128662/1739792332361.jpg)
बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को अपने बहुप्रतीक्षित बजट भाषण में कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कम से कम नौ नए मिशन या कार्यक्रमों की घोषणा की और भारत को \"विश्व का खाद्य भंडार\" बनाने में किसानों की भूमिका को स्वीकार किया।
![आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें? आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/uF71eq31W1739795002943/1739795615768.jpg)
आंवला की खेती की उत्तम पैदावार कैसे प्राप्त करें?
आंवला एक महत्वपूर्ण व्यापारिक महत्व का फल वृक्ष है। औषधीय गुण व पोषक तत्वों से भरपूर आंवले के फल प्रकृति की एक अभूतपूर्व देन है। इसका वानस्पतिक नाम एम्बलिका ओफीसीनेलिस है।
![जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/bGzMHO3g21739792613249/1739792715291.jpg)
जल चक्र में बढ़ रहा है मानवीय हस्तक्षेप
नासा के वैज्ञानिकों ने लगभग 20 सालों का अवलोकन करके पाया कि दुनिया भर में जल चक्र तेजी से बदल रहा है। इनमें से अधिकांश खेती जैसी गतिविधियों के कारण हैं, इनका कुछ इलाकों में पारिस्थितिकी तंत्र और जल प्रबंधन पर प्रभाव पड़ सकता है।
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कृषि क्षेत्र में बढ़ा रोजगार
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में भले ही रोजगार की उजली तस्वीर पेश की गई है, लेकिन इसने सेवा और निर्माण क्षेत्र में रोजगार घटने और कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की बात कर यह साबित कर दिया है। कि सरकार कृषि क्षेत्र के रोजगार को दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित करने में विफल साबित हुई है।
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गेहूं फसल की सिंचाई कब और कैसे करें?
भारत में गेहूं की फसल शरद ऋतु में उगाई जाती है जो कि लगभग 130 दिन का फसल चक्र पूरा करती है। असिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसलावधि मध्य अक्टूबर से मार्च माह के बीच होती है और सिंचित क्षेत्रों में यह अवधि मध्य नवम्बर से मार्च से अप्रैल के बीच होती है। भारत में गेहूं की फसल मुख्य रुप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों में होती है।
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पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व
शरीर की प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। इसके सही संतुलन से विशेष प्रकार की बिमारियों से बचा जा सकता है।
![फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/4a725btXc1739792465599/1739792600239.jpg)
फसल की उपज में वृद्धि के लिए नाइट्रोजन उपयोग में सुधार का नया तरीका
एक नए शोध में दिखाया गया है कि पौधों में नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ) के स्तर को कम करने से धान की फसल और अरेबिडोप्सिस में नाइट्रोजन अवशोषण और नाइट्रोजन के सही उपयोग या नाइट्रोजन यूज एफिशिएंसी (एनयूई) में बहुत ज्यादा सुधार हो सकता है।
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जितना प्राकृतिक खेती पर जोर, उतना बजट नहीं ..
पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की खूब बातें हो रही हैं। केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती पर काफी जोर दे रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के बजट के आंकड़े देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के मामले में खास उत्साहजनक नजर नहीं आते।
![वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1996499/44qWsj-c41739793690363/1739793937678.jpg)
वैज्ञानिक विधि से भिंडी उत्पादन की उन्नत खेती
परिचय : भिंडी सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है, जिसे लोग लेडीज़ फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। भिंडी का वैज्ञानिक नाम एबेलमोलकस एस्कुलेंटस (Abelmoschus esculentus L.), कुल / परिवार मालवेसी तथा उत्पत्ति स्थान दक्षिणी अफ्रीका अथवा एशिया माना जाता हैं।