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कोरोना काल की 50 सच्ची घटनाएँ
मयंक पाण्डेय की यह किताब चर्चित किताबों में शामिल है। यह किताब लॉकडाउन के पलायन से लेकर प्रेरणादायक कहानियों को संजोए हए है
कल्कि, महामारी और इनसान को सबक
किताब 'इकोलॉजिकल बैलेंस' की बात करती है। कल्कि कहता है कि वह पृथ्वी पर संतुलन स्थापित करके रहेगा...
वाया फुरसतगंज- आधुनिक समाज और राजनीति का आईना
वाया फुरसतगंज की कहानी इलाहाबाद की है। इसलिए बात सीधे इलाहाबाद से ही शुरू करते हैं। लेकिन इस शहर के बारे में एक सीधी बात कहना ही शायद सबसे टेढ़ा काम है। इसलिए न चाहते हुए भी बात कहाँ से और कैसे शुरू की जाय, समझ में नहीं आता। अच्छा..! चलिए तनिक कोशिश करते हैं।
यशस्वी भारत - राष्ट्रीयता हो संवाद का आधार
जिस समाज में संवाद नहीं है, वह आदि समाज कैसे आगे बढ़ेगा। संवाद उत्पन्न होने के लिए गंतव्य की स्पष्टता चाहिए। मैं कौन हूँ, इसकी स्पष्टता चाहिए, मुझे कहाँ जाना है और मैं कौन हूँ, उसके संदर्भ में परिस्थितियों का कैसे हमें विचार करना है, इसकी स्पष्टता चाहिए।
प्यार, परिवार और मर्डर
आपको पता है, दुनिया में ऐसी कौन-सी इमोशन है, जिसको क़बूल करना सबसे मुश्किल होता है? वह है जलन। लेकिन मेरे लिए यह मुश्किल नहीं। ये सच है कि मुझे उससे जलन होती थी। बचपन से ही उसने जैसी जिंदगी जी, जैसा प्यार उसे फैमली और बाद में सौरभ से मिला, जितनी आसानी से उसके लिए सबकुछ हुआमुझे इससे जलन होती थी। उसके अंदर एक एनटाइटलमेंट था, जैसे कि यह सब उसी का हक़ था। मुझे इससे घिन आती थी। मैं भीतर ही भीतर घुटती रहती थी। लेकिन आज वो सब ख़त्म होने वाला था।
आरएसएस के सफ़र का एक ईमानदार दस्तावेज़
उस वक़्त मैं दिल्ली के राजेन्द्र प्रसाद मार्ग पर सांसद वाले बंगले में सुन्दर सिंह भंडारी के साथ बैठा चाय पी रहा था। खबरिया चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी, “सुन्दर सिंह भंडारी को राज्यपाल नियुक्त किया गया।” मैंने उनसे पूछा, “अब तो राजभवन जाने की तैयारी करनी पड़ेगी?”
ख़ानज़ादा मेवाती अस्मिता और शौर्य का दस्तावेजी प्रमाण
चौदहवीं सदी के मध्य में तुगलक, सादात, लोदी और मुगल राजवंशों द्वारा दिल्ली और उसके आसपास जो तबाही मचाई, मेवातियों ने उसका जिस शौर्य के साथ ऐसी ताकतों का मुकाबला किया और भारी संख्या में बलिदान दिए। उन्हें इतिहास में वह स्थान नहीं दिया गया, तो दिया जाना चाहिए था। बल्कि उसे भुलाने की कोशिश की गयी
यादों का एक खूबसूरत बस्ता
यादों का बस्ता बहुत यादों से भरा होता है। हर याद संजो कर नहीं रखी जा सकती, लेकिन कुछ ऐसी यादें होती हैं, जिन्हें भुलाये भुला नहीं जा सकता। अंजनी कुमार पाण्डेय ने संस्मरण लिखा है जिसमें उन्होंने खुद को, खुद से जुड़े लोगों को, इलाहाबाद के नुक्कड़-गलियों को, अपने संघर्ष को याद किया है। 'इलाहाबाद ब्लूज' एक ऐसी किताब है जिसमें अंजनी ने ईमानदारी से प्रतापगढ़ से, इलाहाबाद से, यूपीएससी के सफर को दर्ज किया है।
मोदी, भाजपा और जीत की रणनीति
23 मई 2019 को जब आम चुनावों के परिणाम घोषित किये गये तो नरेन्द्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन ने प्रचण्ड बहुमत के साथ सत्ता में पुनर्वापसी की थी। कुछ लोगों के लिए ये आश्चर्यचकित करने वाले परिणाम थे, जबकि कुछ लोगों की दृष्टि में भाजपा की यह जीत सरकार और उनकी नीतियों पर आम जनता की आस्था की मुहर का प्रतीक थी।
कोई निंदौ कोई बिंदौ
मीरां के जीवन और समाज पर एकाग्र पुस्तक पचरंग चोला पहर सखी री 2015 में आयी और अब 2020 में इसका प्रदीप त्रिखा द्वारा अनूदित अंग्रेजी संस्करण मीरां वर्सेस मीरां प्रकाशित हुआ है।
बोसकीयाना और गुलज़ार
मशहूर शायर और फिल्मकार गुलज़ार का घर। बेटी बोसकी के नाम पर अपना पाए 'बोसकीयाना' का मतलब गुलज़ार के अनगिनत चाहनेवालों के लिए उस मरकज़ की तरह है जिसकी ऊष्मा से वे हर पल अपने-आपको और अमीर बनाते रहते हैं। ये सब जिस शख्स से है, उसका अपना फ़लसफ़ा क्या है? उनसे ये बातें यहीं हुई हैं और जो बातें अगर यहाँ-वहाँ हुई हैं तो उनकी तस्दीक भी यहीं-कहीं हुई है।
सफलता पाने के आसान तरीके
जब आप टॉप करनेवाले मार्ग पर चल पड़ते हैं तो हमेशा के लिए आप इसी रास्ते को पसंद करेंगे.यह आपके आदत में आ जाएगा, फिर आपको यही रास्ता सबसे सरल दिखाई पड़ेगा, हो सकता है दूसरों को यह रास्ता बड़ा मुश्किल जान पड़े.
चुनौतियों के लिए तैयार रहना जरूरी है
बिज़नेस स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद फ़िल नाइट ने अपने पिता से पचास डॉलर उधार लिए और एक साधारण उद्देश्य के साथ एक कंपनी की शुरुआत की. जापान से उच्च गुणवत्ता वाले, कम कीमत के रनिंग शूज़ आयात किये. नाइट ने अपने व्यापार के पहले वर्ष यानी 1963 में जूते बेचकर 8000 डॉलर कमाए. आज नाइकी की वार्षिक बिक्री 30 बिलियन डॉलर से अधिक है और उसकी पहचान उसके लोगो से कहीं बढ़कर है. लेकिन इस महान उपलब्धि से हटकर नाइट हमेशा एक रहस्य बने रहे.
दस क्लासिक्स - फिल्मों की निर्माण यात्रा की रोचक दास्तान
दस क्लासिक्स में उन प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया गया है जो दस महान हिंदी फ़िल्मों को बनाने के दौरान सामने आए। इस पुस्तक में उल्लेखित फ़िल्मों को भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है
कैसे गुम हो गया भारतीय जंगलों का शहज़ादा कहलाने वाला चीता?
कबीर संजय की पुस्तक 'चीता' बेहद ख़ास दस्तावेज है। यह उन किताबों में शामिल की जा सकती है जिसे आप संजो कर रख सकते हैं। अपने बच्चों को पढ़कर सुना सकते हैं। उन्हें प्रकृति और जीवों से लगाव के लिए प्रेरित कर सकते हैं
रामविलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष
राम विलास पासवान की राजनीतिक यात्रा पर हिंदी में पहली बार विस्तार से लिखा गया है। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव ने पासवान पर गहन शोध और अध्ययन के बाद उनकी जीवनी 'रामविलास पासवान : संकल्प, साहस और संघर्ष' लिखी है। पुस्तक को पेंगुइन बुक्स ने प्रकाशित किया है।
शेर की खाल वाला सामंत शूरवीर
जैसे इंग्लैंड में शेक्सपीयर हैं, इटली में दांते, रुस में पुश्किन; इसी तरह पोलैंड के पास अद्वितीय व बेजोड़ प्रतिम है —मित्स्किएविच। इसी तरह जॉर्जिया में जहां काव्यात्मक विरासत लगभग हज़ारों सालों से फैली हुई है, फिर भी प्रभावी रुप से इस देश के एकमात्र बेजोड़ कवि हैं -शोथा रुस्थावेली।
संस्कृत भाषा और अनुवाद की व्याख्या
संस्कृत नन-ट्रांसलेटेबल्स' अंग्रेज़ी भाषा के संस्कृतकरण और इसे शक्तिशाली संस्कृत शब्दों से समृद्ध करने का एक मार्गदर्शक और साहसिक प्रयास है।
फ़िल्मी दुनिया के किस्से और सुपरस्टार की मौत
फ़िल्मी दुनिया चकाचौंध से भरी है। हर मोड़ एक किस्सा है, एक कहानी है। हर मोड़ पर कुछ टूटता है, कुछ बिखरता है, कुछ जुड़ता है, कुछ संभलता है। फिल्मी दुनिया में ज़िन्दगी बहुत तेज़ी से दौड़ती है, तो कहीं हालात ऐसे भी बन जाते हैं कि एक पल भी हज़ारों साल जितना भारी लगता है।
कशीर
भारत के बुद्धिजीवियों में यह धारणा बनी हुई है कि भारत और पाकिस्तान के बीच की अनबन के लिए कश्मीर की समस्या ही मूल कारण बनी है।
फर्श से अर्श तक पहुँचने की प्रेरक कहानी
ओपरा विनफ्रे ने अपनी दुनिया ख़ुद बनाई है. उन्होंने महिला शक्ति को एक नई पहचान दी है. उनका सफ़र प्रेरणा से भरा है, जहाँ उन्हें सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा
महान् बनने का विज्ञान
प्रत्येक व्यक्ति के अंदर शक्ति का एक सिद्धांत होता है। इस सिद्धांत के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग एवं मार्गदर्शन के द्वारा मनुष्य स्वयं अपनी आंतरिक शक्ति का विकास कर सकता है। मनुष्य में एक अंतर्निहित शक्ति होती है, जिसकी सहायता से वह जिस दिशा में चाहे, प्रगति कर सकता है और उसकी प्रगति की संभावनाओं की कोई सीमा भी दिखाई नहीं देती। अभी तक कोई मनुष्य किसी एक क्षेत्र में इतना महान् नहीं बन पाया है कि किसी और के उससे अधिक महान् बनने की संभावना न हो। यह संभावना उस मूल तत्त्व में है, जिससे मनुष्य बना हुआ है। प्रतिभा वह सर्वज्ञता है, जो मनुष्य के अंदर प्रवाहित होती रहती है।
चित्रकार और शिल्पकार पिकासो
पिकासो को उनके चित्रों की रेखाएँ ही दर्शकों से संवाद स्थापित करती हैं, इसलिए उन्हें प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा तो वास्तव में चित्रकार के रूप में मिली; क्योंकि उनकी पेंटिंग का हर कोना अपनी कहानी खुद कहता है
कोरोना से बचने के आध्यात्मिक सिद्धांत
कोरोना की जंग है बचना है, बचाना है तभी जीत हासिल होगी... कभी-कभी कोई ऐसी महामारी दुनिया में पैर पसार लेती है, जिससे लाखों लोगों की जान चली जाती है। इस पीढ़ी के लिए यह घटना अभूतपूर्व है।
कारगिल शहीदों की प्रेरक कहानियाँ
कारगिल किसी ऐसे युद्ध का लेखाजोखा मात्र नहीं है, जिसे भारतीयों ने अपनी बैठकों में टेलीविजन के जरिए देखा. यह हमें उस बलिदान, प्रेम और यादों की कहानियों से भी परे ले जाता है, जिन्हें शहीदों के परिवारवालों, दोस्तों और रेजीमेंट्स ने पिछले बीस वर्षों से जीवित रखा हुआ है.
दस क्लासिक हिंदी फ़िल्मों के निमणि की असाधारण यात्रा
भारतीय फ़िल्मों के इतिहास में क्लासिक हिंदी फ़िल्मों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। इन फ़िल्मों को बने कई दशक बीत चुके हैं, पर आज भी उनका जादू क़ायम है या यूँ कहिए कि उनका महत्त्व और लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
बोलना ही है लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में
मेरा बोलना और उसे साहस के फ्रेम में देखा जाना ये सब 2014 के बाद की परिस्थितियों की मेहरबानी है। 2014 के बाद राजनीति की हवा बदल गई। सरकार की आलोचना को देश की आलोचना बताया जाने लगा।
मुग़ल-ए-आज़म के पीछे की दिलचस्प कहानी
दास्तान-ए-मुग़ल-ए-आज़म
शिखंडी अंबा के प्रतिशोध की गाथा
काशी नरेश द्वारा आयोजित अपनी तीन बेटियों के स्वयंवर-स्थल में से उनका हरण करने पर उनकी सबसे बड़ी बेटी अंबा अपने हरणकर्ता भीष्म के विरुद्ध परशुराम से युद्ध का कारण बनी।
हम भारतीय कौन हैं? हम कहाँ से आए थे?
पत्रकार टोनी जोसेफ़ 65,000 वर्ष अतीत में जाते हैं, जब आधुनिक मानवों या होमो सेपियन्स के एक समूह ने सबसे पहले अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्धीप तक का सफ़र तय किया था।