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പൊൻ കതിരായ് പൊങ്കൽ
ദ്രാവിഡ വിഭാഗക്കാരുടെ വിളവെടുപ്പുത്സവമാണ് പൊങ്കൽ. തങ്ങൾക്ക് ലഭിച്ച വിളവിനും സമൃദ്ധിക്കും കർഷകർ പ്രകൃതിയോട് നന്ദി പറയുന്ന ദിവസങ്ങളാണ് പൊങ്കൽ ആഘോഷങ്ങൾ. ജനുവരി 18 മുതൽ 21 വരെയാണ് ഇത്തവണത്തെ പൊങ്കൽ. ഇത് സമൃദ്ധിയുടെ കാഹളം കൂടിയാണ്.
ആറുപടൈവീടുകളും ആറ് ഗുണങ്ങളും
തൈപ്പൂയം
ശകുനശാസ്ത്ര രഹസ്യം
വിശ്വാസം
സ്വപ്നം ഫലിക്കുന്നത് എപ്പോൾ
സ്വപ്നഫലം
കർമ്മവിജയത്തിന് ഭദ്രകാളിപ്പത്ത്
ഭദ്രകാളി
करें रामजी के आदर्श चरित्र का अमृतपान
अयोध्या में श्रीराम मंदिर उद्घाटन के अवसर पर
शीत ऋतु में विशेष सेवनीय स्वास्थ्यप्रद व बलवर्धक तिल
आयुर्वेद के अनुसार तिल स्निग्ध, मधुर, उष्ण, पचने में भारी व वायुशामक हैं तथा कफ व पित्त प्रकुपित करनेवाले हैं। ये बल, बुद्धि एवं जठराग्नि को बढ़ानेवाले, त्वचा एवं बालों के लिए हितकर तथा वर्ण को निखारनेवाले हैं। प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकार) में ये एक उत्कृष्ट औषधि हैं।
मुझे बहुत दुःख है कि बापूजी जैसे के उच्च कोटि के महापुरुष अब भी जेल में हैं
पद्मश्री विभूषित १२७ वर्षीय योगगुरु पधारे मोटेरा आश्रम, कहा:
ब्रह्महत्या जैसे पापों व पिशाच योनि से मुक्तिदाता व्रत
जया एकादशी पर विशेष
महापुरुषों का संकेत - सावधान रहो, अपनी महान संस्कृति से देश को मत भटकाओ!
हमारे मनीषियों के अनुसार विवाह या शादी अनियंत्रित भोग भोगकर शक्ति का ह्रास करने के लिए नहीं वरन् संयम-सदाचार से रहते हुए अपने ओज-तेज, बल-बुद्धि की रक्षा करते जीवन को भगवद्रस से शाद-आबाद करने हेतु है। दुर्भाग्यवश अपनी संस्कृति की महानता से अनभिज्ञ कुछ भारतीय पाश्चात्यों की नकल करते हुए लिव-इन-रिलेशनशिप (स्वैच्छिक सहवास) जैसी कुप्रथाओं का शिकार हो रहे हैं।
दूसरों का अमंगल चाहने पर होता अपना अमंगल
विद्यार्थी संस्कार - ‘देवताओं की प्रार्थना स्वीकार करके महर्षि दधीचि ने देह-त्याग किया। उनकी अस्थियों से बने वज्र से अजेयप्राय वृत्रासुर को इन्द्र ने मारा और स्वर्ग पर पुनः अधिकार प्राप्त किया।’...
समाजसेवी पुण्यात्माओं के उद्गार
पूज्य बापूजी द्वारा प्रेरित मातृ-पितृ पूजन दिवस पर
యజుర్వేద శాంతి మంత్రం
యజుర్వేద శాంతి మంత్రం
అభయ కల్పతరువు
అభయ కల్పతరువు
మన జీవనక్రాంతి 'సంక్రాంతి'
శ్రీరామనవమి, శ్రీకృష్ణాష్టమి లాంటివి' జన్మదిన పండుగలు. విజయదశమి, దీపావళి లాంటివి రాక్షస సంహారం జరిగిన సందర్భంలో జరుపుకునే పండుగలు.
సుబోధ
సుబోధ
ఆ ధరణీవల్లభుఁ డెక్కెను దివ్యరథము...- స్వామి జ్ఞానదానంద
భారతీయ సంస్కృతిపై శ్రీరాముని ప్రభావం ప్రగాఢమైంది.
అడుగు జాడలు...
దివ్యజనని శ్రీశారదాదేవి ప్రత్యక్ష శిష్యులైన స్వామి శారదేశానందజీ (1892-1988) రామకృష్ణ సంఘంలో ఎంతో గౌరవాన్నీ, ప్రేమాభిమానాలనూ చూరగొన్న గొప్ప సన్న్యాసి.
యువతకు ఆదర్శం స్వామి వివేకానంద మిలి - కొవ్వూరి భవానీ
జనవరి 12న 'జాతీయ యువజన దినోత్సవం' (స్వామి వివేకానంద జయంతి - ఆంగ్ల తేదీ ప్రకారం)
సూక్తి సౌరభం
సూక్తి సౌరభం
जिन्हें गोविन्ददेव के साक्षात् दर्शन हुए!
कवि, परम भक्त और महान् निर्माता महाराजा सवाई प्रतापसिंह
आइए चलें...महातीर्थ खजुराहो
खजुराहो में केवल एक मन्दिर नहीं है। वहाँ 25 मन्दिर हैं।
सूर्योपासना का पर्व है मकर संक्रांति
प्रत्येक साल सूर्य भगवान् जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब सूर्योपासना के रूप में 'मकर संक्रांति का पर्व की मनाया जाता है।
निम्बार्क सम्प्रदाय में सूर्यदेव
आचार्य श्री ने रात्रि में सूर्यदेव का दर्शन कराया और यतिस्वरूप ब्रह्मा का आतिथ्य किया। यह देखकर ब्रह्मा जी विस्मित हुए और तत्काल प्रत्यक्ष स्वरूप में प्रकट होकर श्री आचार्यवर्य को 'निम्बार्क' नाम से सम्बोधित किया।
लग्नानुसार ज्योतिष के महत्त्वपूर्ण सूत्र
मिथुन लग्न के जातकों को भाग्य में कमी का अनुभव होता है। बुध एवं शुक्र का सम्बन्ध सर्वाधिक शुभ फलदायक होता है। गुरु एवं शुक्र की युति दशम भाव में राजयोग के फल प्रदान करती है।
सूर्य-चन्द्रमा की युति एक विश्लेषण
चन्द्रमा के अस्त होने के बावजूद भी कई जातक जीवन में उच्चस्तरीय सफलता प्राप्त करते हुए देखे जाते हैं।
कुश से लेकर विवाद, शिलान्यास और उद्घाटन तक राम मन्दिर
वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या नगरी की स्थापना मनु द्वारा की गई थी। विभिन्न राजाओं ने इस नगरी में निर्माण एवं विस्तार का कार्य किया। दशरथ जी ने भी यहाँ कई इमारतें बनवाईं।
लो तैयार हो गया 'रामलला' का नया भव्य मन्दिर
इन्तजार की घड़ियाँ समाप्त होने को हैं। उल्टी गिनती आरम्भ हो चुकी है। 22 जनवरी को मध्याह्न में रामलला अपने नए मन्दिर में दर्शन देंगे।
श्रीराम की वनवास यात्रा का भौगोलिक परिचय
भगवान् श्रीराम का यौवराज्याभिषेक कैकेयी के तीन वर माँगने के कारण न केवल स्थगित हुआ, वरन् उन्हें 14 वर्ष वनवास भी भोगना पड़ा। ये 14 वर्ष उन्होंने भ्राता लक्ष्मण एवं पत्नी सीता के साथ मध्य एवं दक्षिण भारत के दुर्गम वनों में व्यतीत किए।
भारत में सूर्योपासना एक विवेचना
वेद कहते हैं 'सूर्य आत्मा जगत: तस्थुषश्च' अर्थात् सूर्य समस्त चराचर जगत् की आत्मा हैतथा ‘असवादित्योब्रह्मः' अर्थात् सम्मुख आदित्य (सूर्य) 'ब्रह्म' है। वेदों में यद्यपि सूर्य की प्रधान देवों में गणना नहीं है, फिर भी वैदिक काल में सूर्यपूजा की विद्यमानता दृष्टिगोचर होती है। सविता (सूर्य) की उपासना में गायत्री मन्त्र सर्वविदित है। आज भी नित्य सन्ध्या वन्दन में गायत्री मन्त्र का जप किया जाता है। वेदों के अनुसार भगवान् सूर्य के रथ के सात घोड़े हैं, जो ज्योतिष की दृष्टि से 'वार' के प्रतीक हैं। कालगणना सूर्य की गति पर ही आधारित है।