अचानक पानी की बौछार देख कर हर कोई चौंक जाता था, लेकिन जैसे ही उन की नजर विरिका पर पड़ती तो वे मुसकरा कर रह जाते. तभी उस का सहपाठी आरव भी उसी तरफ आ रहा था, उसे भी विरिका ने पानी से भिगो दिया.
"विरिका, नीचे आओ, साथ मिल कर होली खेलते हैं," आरव नीचे से चिल्लाया.
"नहीं, मैं नीचे नहीं आऊंगी. मुझे पता है कि तुम मुझ पर पक्का रंग डालोगे, जैसा कि पिछली बार डाला था, जिस से मुझे ऐलर्जी हो गई थी. '
विरिका की बात सुन कर आरव के चेहरे पर शरारती मुसकान आ गई. वह मुसकराते हुए बोला, "इस बार मैं जो रंग लगाऊंगा, उस से ऐलर्जी नहीं होगी, बल्कि खुजली होगी, क्योंकि रंगों में खुजली वाला पाउडर मिलाया गया है."
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होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"