
शूटिंग एक बंगले में हो रही थी और जंगलवासी अपने मनपसंद हीरो का औटोग्राफ लेने के लिए उस के अंदर जाना चाहते थे. जल्द ही, बाहर भीड़ जमा हो गई, लेकिन सिक्योरिटी गार्ड किसी को भी अंदर नहीं जाने दे रहे थे.
डमरू गधा भी उस भीड़ में था. वह वहां से जा रहा था, लेकिन भीड़ को देख कर वह दीवार के उस पार झांकने लगा. डमरू का मुंह खुला का खुला रह गया, जब उस ने लकी कुमार को देखा, जो पूरी तरह से तैयार हो कर अपने शौट का इंतजार कर रहा था.
"भाई, मुझे अंदर जाने दो. मैं चुपचाप एक कोने में खड़ा हो कर शूटिंग देखूंगा,” डमरू ने गार्ड से विनती की.
"नहीं, मैं तुम्हें अंदर नहीं जाने दूंगा. किसी को भी अंदर जाने की परमिशन नहीं है," गार्ड बोला, जिस से डमरू मन मसोस कर रह गया.
वह वापस बाहर खड़ा हो कर ही हीरो लकी कुमार का इंतजार करने लगा. तभी एक वैन आई जिस पर 'प्रेस' का स्टिकर लगा हुआ था और उस में से सुंदर कपड़े पहने गिलहरी उतरी. वह गार्ड के पास गई और उस से धीमी आवाज में बोली. गार्ड ने उसे तुरंत बंगले के अंदर जाने दिया. यह देख कर डमरू को गुस्सा आ गया.
"यह क्या है? मैं ने इतनी रिक्वेस्ट की पर तुम ने मुझे अंदर नहीं जाने दिया. उस गिलहरी ने तुम्हारे कान में कुछ फुसफुसाय और तुम ने उसे तुरंत अंदर भेज दिया,” डमरू ने क्रोधित हो कर कहा.
"तुम्हें पता भी है कि वह कौन है. वह कंचनवन की प्रेस रिपोर्टर है और फिल्म स्टार्स खुद उस जैसे मीडियाकर्मियों को इंटरव्यू देने के लिए बुलाते हैं. तुम्हें जनता के साथ बाहर इंतजार करना होगा," गार्ड ने सख्ती से कहा.
डमरू ने सोचा, अगर मैं रिपोर्टर बन गया तो मुझे लकी कुमार से मिलने से कोई नहीं रोक सकता.
डमरू शूटिंग स्थल से निकल कर सीधे जंगल के लोकप्रिय समाचार चैनल चंपकवन न्यूज के औफिस पहुंच गया.
"सर, कृपया मुझे अपने चैनल का रिपोर्टर बना लीजिए," डमरू ने संपादक जंबो हाथी से रिक्वेस्ट की.
"अच्छा, तुम ने पत्रकारिता की पढ़ाई कहां से की है?" जंबो ने खुद के लिए एक कप चाय डालते हुए पूछा.
"सर, आप की सीनियर रिपोर्टर किट्टी बिल्ली पूरा दिन बस इधरउधर ताकझांक करने में बिताती है. बस, ताकझांक करने के लिए पढ़ाई की क्या जरूरत है?"
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बुरा न मानो होली है
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मोमो चूहे के लिए आज का दिन खास था. जिस घर के बगल में वह रहता था, उस के सभी लोग बाहर गए थे, इसलिए उस ने बिना किसी डर के घर घुसने की हिम्मत की.

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जादुई पीले फूल
वफी खरगोश स्कूल के लिए तैयार हो रहा था. उस ने अपना बैग पीठ पर लटकाया और बाहर निकलने से पहले खुशीखुशी अपनी मां को बाय कहा. मौसम सुहावना था, हर तरफ रंगबिरंगे फूल खिले हुए थे और हवा में बसंत की खुशबू तैर रही थी. वफी को बसंत का यह मौसम बहुत पसंद था.

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