10 जुलाई, 2023 को रात के लगभग 8 बजे का वक्त रहा होगा, दिव्या शर्मा रोज की तरह अपनी सहेली अक्षया यादव की स्कूटी पर बैठ कर कोचिंग से घर वापस लौट रही थी. उन दोनों सहेलियों में से किसी को जरा भी अनुमान नहीं था कि मौत दबे पांव उन की ओर बढ़ी आ रही है.
उसी समय अक्षया की स्कूटी के नजदीक से एक बाइक गुजरी. उस पर 4 नवयुवक सवार थे. बाइक पर सवार उन युवकों में से 2 के हाथ में देशी पिस्टल थी. उन चारों में से 2 को पहचानने में अक्षया यादव और उस की सहेली दिव्या ने भूल नहीं की. वे दोनों आर्मी की बजरिया में रहने वाले सुमित रावत और उपदेश रावत थे.
एक नजर चारों तरफ देखने के बाद सुमित नाम के युवक ने रुकने का इशारा कर के अक्षया को बेटी बचाओ चौराहा (मैस्काट चिकित्सालय) के पास रोक लिया.
अक्षया के स्कूटी रोकते ही सुमित दिव्या से बात करने लगा. कुछ ही पल की बातचीत में दिव्या और सुमित में नोंकझोंक शुरू हो गई. दोनों के बीच सड़क पर नोंकझोंक होती देख उधर से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने महज शिष्टाचार निभाते हुए रुक कर सुमित को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सुमित ने लोगों से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अगर कोई भी हम दोनों के बीच में आया तो उसे सीधे यमलोक पहुंचा दूंगा.
इतना ही नहीं, सुमित और उस के साथ बाइक पर सवार हो कर आए अपराधी किस्म के साथी तमंचा दिखा कर राहगीरों को बिना किसी हिचकिचाहट के धमकाने लगे.
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2023 من Satyakatha.
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