सुबह-सुबह आंख खुलते ही हीरेन ने अपनी पत्नी रुचि से कहा, "आज इतवार है, मेरी छुट्टी है तो चलो, घर को थोड़ा सेट किया जाए।" इस पर रुचि ने हैरान होते हुए कहा, "सेट तो है और क्या सेट करना है?" हीरेन मुस्कुराया और बोला, "क्यों नहीं करना? अरे भई सर्दियां आ रही हैं, मौसम में भी अब परिवर्तन होने लगा है, ऐसे में घर का इंटीरियर बदलना जरूरी है, ताकि सर्दियों में हर कोना गरम और आरामदायक रहे।” कुछ रुककर हीरेन बोला, "नहीं समझीं? जैसे हम सर्दियों की आहट के साथ ही अपने पहनावे और खान-पान में बदलाव लाने लगते हैं और अलमारी में रखे गर्मियों के कपड़ों को ठंडे मौसम के हिसाब से बदल देते हैं, वैसे ही घर में मौसम के अनुसार बदलाव क्यों नहीं कर सकते? इन बदलावों के साथ और कुछ नए प्रयोग कर हम घर को भी गरम अहसास देने वाला बना सकते हैं और उसको सर्दियों के लिए तैयार कर सकते हैं।"
सर्दियों का मौसम बेहद खुशनुमा और आकर्षक होता है। दीपावली के बाद अब हल्की-हल्की गुलाबी ठंड का अहसास भी होने लगा है। ऐसे में घर से बेहतर और आरामदायक जगह कोई नहीं हो सकती। इसलिए हम घर को कोजी और गरम रखने के लिए विंटर डेकोर का इस्तेमाल कर सकते हैं। सर्दियों की शुरुआत होने से पहले ही अगर घर को विंटर रेडी कर लिया जाए तो कंपकंपाती ठंड का आनंद भी दोगुना हो सकता है।
■ घर की शोभा में गरम गलीचा
"रेनू, तुमने जो कारपेट गर्मियों में उठाकर रख दिए थे, उन्हें अब निकाल लेना चाहिए! देखो, अब ठंड ने दस्तक दे दी है। अब फर्श ठंडा लगने लगा है।" सुनील ने अपनी पत्नी से कहा। वास्तव में, ठंड के मौसम में फर्श से ज्यादा ठंडी चीज और कोई नहीं होती। खासकर, टाइल्स वाले फ्लोर अधिक ठंडे और गीले महसूस होते हैं। यदि आप फ्लोर को गरम और आरामदायक बनाना चाहती हैं तो ऊनी गलीचों का उपयोग कर सकती हैं। ये आपको विंटर वाइब्स भी देंगे। आप फर्श पर बैठना पसंद करती हैं तो ये गलीचे आपके लिए परफेक्ट हैं। यह ब्राइट कलर्स में ज्यादा फबते हैं, साथ ही आपके कमरे को वाइब्रेट बनाने में भी मदद कर सकते हैं।
■ कोजी परदे रोकें ठंडी हवाएं
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।