हो सकता है, इस साल आप दुल्हन बनने वाली हों। इस दिन के लिए आपने बहुत से सपने संजोए होंगे-मैं ऐसी दुल्हन बनूंगी, वैसी दुल्हन बनूंगी। यह पहनूंगी, वो पहनूंगी, ऐसे फोटोशूट कराऊंगी, ढेर सारी रील्स बनाऊंगी। शादी के बाद उनको इंस्टाग्राम पर डालूंगी, जिस पर ढेर सारे लाइक्स और कमेंट आएंगे आदि-आदि। ऐसा करने के लिए आपने सोशल मीडिया से ढेर सारी फोटो और वीडियो भी डाउनलोड कर ली होंगी और इच्छा होगी कि बिल्कुल फिल्मी स्टाइल की दुल्हन बनें।
अब इच्छाएं तो इच्छाएं हैं, जिनको व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरा करने की कोशिश भी करता है। ऐसे में भला हम और आप कैसे पीछे रह सकते हैं! आपकी चाहतों का हम आदर करते हैं, इच्छाओं का सम्मान भी करते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है, आखिर इसके लिए इतना खर्च क्यों? माना, यह दिन जिंदगी में एक बार आता है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि आप माता-पिता की आधी जमापूंजी सुंदर दिखने में ही खर्च कर दें।
खर्चीली होती हैं तैयारियां
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।