दुनिया में आज के समय में जितनी भी तेज रफ्तार से दौड़ती-भागती चीजें हैं, उनमें से अधिकतर ईंधन से चलने वाली हैं। लेकिन शरीर के लिए जो ईंधन लगता है, वह वाहनों में डाले जाने वाले पेट्रोल की तरह तत्काल प्रभाव में नहीं आता। शरीर के ईंधन के उत्सर्जित होने की अपनी एक अलग प्रक्रिया है, क्योंकि शरीर एक जटिल मशीन है, जो भोजन के अंदर जाते ही उसे ऊर्जा रूप में परिणत नहीं करता। हमारे अंदर की मशीनरी कुछ ऐसी है, जो भोजन में से माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से ग्लूकोज निकालती है और इसका उपयोग शुरू कर देती है। हमारा शरीर ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट का उपयोग ज्यादा पसंद करता है।
सभी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ऊर्जा का स्रोत होते हैं और वसा में सबसे अधिक ऊर्जा होती है, लेकिन वसा और प्रोटीन को टूटने में बहुत अधिक समय लगता है, इसलिए शरीर कार्बोहाइड्रेट और पोटैशियम को प्राथमिकता देता है। रिफाइंड, चीनी जैसे सरल कार्बोहाइड्रेट बहुत जल्दी संसाधित होते हैं। इनसे ऊर्जा एकदम बढ़ती है और फिर घट जाती है। वहीं, ब्राउन राइस जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे टूटते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा धीरे-धीरे मिलती रहती है। दरअसल, ऐसे भोजन को अक्सर उबाऊ और स्वादहीन माना जाता है, जो शरीर के लिए ईंधन का काम करते हैं। अब ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन में स्वाद तो हमें ही खोजना होगा। पोषण को यदि भोजन से जोड़ा जाए तो जरूरी नहीं कि यह बेहद स्वादिष्ट लगे। इसलिए हमें कुछ समझौते तो करने पड़ेंगे और निश्चित रूप से यह समझौता स्वाद ही होगा। अब जानते हैं कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में, जो स्वाद के साथ आपको ऊर्जा से भी भर देते हैं।
■ शतावरी बेहद लाभकारी
हमारे देश में शतावरी को सब्जी के रूप में खाया जाता है। यह एक बेल या झाड़ के रूप वाली जड़ी-बूटी है, जिसे आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी जाना जाता है। इसमें फोलेट, फाइबर, क्रोमियम और विटामिन ए, सी, ई जैसे तत्व पाए जाते हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट का भंडार होती है, जिसमें शरीर के सेल्स को नुकसान पहुंचाने वाले फ्रीरेडिकल्स को बेअसर करने की क्षमता होती है। शतावरी वसंत ऋतु में व्यापक रूप से उपलब्ध होती है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है, इसलिए इसे भारतीय मसाले के साथ बनाने की कोशिश नहीं की जाती। ऐसा करने से इसके प्राकृतिक गुण नष्ट हो सकते हैं।
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 02, 2024 من Rupayan.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 02, 2024 من Rupayan.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।