ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता में 12 जनवरी, 1863 को नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में जनमे स्वामी विवेकानंद एक पारंपरिक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार से आते थे। उनके पिता विश्वनाथ दत्त वकील थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक गृहिणी थीं। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में से एक थे। उनकी माता जहाँ एक ओर अत्यंत धार्मिक प्रवृत्तिवाली महिला थीं, वहीं दूसरी ओर उनके पिता विवेकशील एवं प्रगतिशील व्यक्ति थे। विवेकानंद अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। वे यायावर संन्यासियों से अत्यंत प्रभावित थे और ध्यान का अभ्यास किया करते थे। परंतु वे अत्यंत चंचल एवं उत्साही भी थे और उनकी माँ को उन्हें नियंत्रित करने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अपने परिवार के रायपुर जाने से पूर्व उन्होंने वर्ष 1871 से 1877 तक ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपॉलिटन इंस्टिट्यूशन में पढ़ाई की थी। जनवरी 1880 में रायपुर से लौटने के बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया।
विवेकानंद एक लगनशील अध्येता थे। कला, साहित्य, दर्शन और धर्म से लेकर इतिहास एवं समाज विज्ञान जैसे विषयों के अध्ययन में उनकी विशेष रुचि थी। हिंदू पौराणिक कथाओं एवं संस्कृत धर्मग्रंथों के अध्ययन में गहन रुचि होने के कारण उन्होंने रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता, वेदों एवं उपनिषदों और पुराणों का अध्ययन किया। अध्ययनशील होने के साथ-साथ खेलों में भी उनकी रुचि थी। वे शारीरिक व्यायाम की कक्षाओं में भी सक्रिय भाग लेते थे।
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