अगस्त महीने में होने वाली बारिश जहां फसलों के लिए फायदेमंद होती है, वहीं कई तरह के कीड़ेमकोड़े भी पनपते रहते हैं, जो फसल और पशुओं के साथसाथ हमारी सेहत के लिए भी नुकसानदायक होते हैं.
इस महीने पशुओं में खुरपकामुंहपका रोग का प्रकोप भी बढ़ जाता है, वहीं अधिक बारिश से फसलों में भी कीटों व बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है.
इस समय बारिश अधिक होने से फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों की तादाद काफी बढ़ जाती है, जो बोई गई फसल की पत्तियों का रस, फूल व फलों को अपना भोजन बनाते हैं. इस से पैदावार में काफी कमी आ जाती है. ऐसे में अगर कीटों का प्रकोप फसल में दिखाई पड़े, तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ से संपर्क कर समाधान पा सकते हैं.
इस के अलावा फसल में बहुत सी बीमारियां भी फैलती हैं, जिस से उपज में कमी के साथसाथ गुणवत्ता भी गिर जाती है. इन बीमारियों से बचने के लिए किसानों को रोगरोधी किस्मों का चयन और बीजोपचार का उपाय अपनाना चाहिए.
किसान खरीफ फसल के रूप में सब से ज्यादा धान की खेती करते हैं और अगस्त महीने तक धान की रोपाई का काम पूरी तरह से पूरा हो चुका होता है. ऐसे में धान की फसल को पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती है.
अगस्त महीने में बारिश अच्छी होती है. ऐसी अवस्था में खेतों के चारों ओर मेंड़ों को मजबूत करें, जिस से बरसात का पानी खेत से बह कर बाहर न जाने पाए.
अगर अगस्त महीने में बारिश अच्छी न हो, तो फसल में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए उचित अंतराल पर सिंचाई करते रहें.
धान की रोपाई के 25-30 दिन बाद अधिक उपज वाली प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 65 किलोग्राम यूरिया और सुगंधित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 15 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 33 किलोग्राम यूरिया की टौप ड्रैसिंग करें. नाइट्रोजन की इतनी ही मात्रा की दूसरी व अंतिम टौप ड्रैसिंग रोपाई के 50-55 दिन बाद करनी चाहिए.
खैरा रोग की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट व 2.5 किलोग्राम चूना या 20 किलोग्राम यूरिया को 1,000 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.
هذه القصة مأخوذة من طبعة August First 2022 من Farm and Food.
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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
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