आज हमारे देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता बढ़ कर 427 ग्राम हो गई है, जो विश्व स्तर पर एक सम्मानजनक स्थिति में है. वर्तमान पशु जनगणना के अनुसार, आज हमारे देश में तकरीबन 536 मिलियन पशुधन दर्ज किया गया है. इस हिसाब से अगर प्रति पशु उत्पादकता के आंकड़े की ओर देखा जाए, हमारी स्थिति अच्छी नहीं है. अन्य देशों की तुलना में हमें इस विषय पर गंभीर होने के साथसाथ इस में सुधार लाने के में की आवश्यकता है. इस तथ्य के पीछे बहुत से पहलू जिम्मेदार हैं, जिस में से सालभर संतुलित एवं गुणवत्ता वाला पशु आहार का अभाव एक मुख्य कारण है.
अलगअलग आंकड़ों के अनुसार वर्तमान समय में हमारे देश में तकरीबन 35 फीसदी हरा चारा, 10 फीसदी सूखा चारा और 44 फीसदी दानों की कमी दर्ज की गई है, जो पशुओं की सेहत और उन की उत्पादकता को सीधा प्रभावित करता है, इसलिए सालभर संतुलित आहार प्रबंधन इस परिपेक्ष्य में मील का पत्थर साबित हो सकता है.
लिहाजा, वर्तमान चुनौती से छुटकारा पाने के लिए पशुधन की आवश्यकता के अनुरूप संतुलित आहार प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
वर्तमान समय में सूखा चारा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जिस वजह से सूखे चारे के दामों में बहुत अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
गेंहू के एक क्विटल सूखे चारे के दाम तकरीबन 1,500 रुपए तक दर्ज किए गए हैं, जो सूखे चारे की वर्तमान किल्लत को दर्शाते हैं. सालभर संतुलित एवं गुणवत्ता वाले चारे की कमी पशुओं की सेहत और उत्पादकता दोनों को प्रभावित करती है, जिस की वजह से पशुपालकों को मुनाफे की जगह नुकसान उठाना पड़ता है.
पशुपालन में खर्च होने वाले कुल आर्थिक खर्च का तकरीबन 60-70 फीसदी भाग केवल उस के आहार प्रबंधन में खर्च होता है, जो एक तरह से इस व्यवसाय से होने वाले मुनाफे का निर्धारण करता है.
आज भी ज्यादातर किसान चारे की आपूर्ति के लिए मुख्यतया एकवर्षीय चारा फसलें जैसे ज्वार, मक्का, बाजरा, बरसीम, रिजका और ग्वार पर निर्भर पाए जाते हैं, जिन की खेती से महज अधिकतम 3 या 4 महीने तक ही हरा चारा मिल पाता है और बाकी बचे समय में सूखे चारे पर निर्भर रहना पड़ता है.
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
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रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
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