इस का दूसरा प्रमुख फायदा यह होता है कि जमीन में सुधार होता है, क्योंकि गेंदे की फसल बंजर जमीन के आर्सेनिक व सीसा को सोख लेती है. गेंदा उगाने की वैज्ञानिक विधि सीख कर किसान अपनी बंजर भूमि में गेंदे की फसल उगा कर फायदा ले सकते हैं.
खेत की तैयारी : पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. उस के बाद 2 जुताई हैरो या कल्टीवेटर से आरपार करें. यदि खेत में भूमिगत कीटों की समस्या हो, तो 50 किलोग्राम नीम की खली खेत में जरूर डालें.
आखिरी जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं. खेत के चारों ओर मेंड़ जरूर बनाएं, ताकि बारिश का पानी जमीन द्वारा सोख लिया जाए.
खाद और उर्वरक : पौधों से अधिक पुष्प उत्पादन के लिए मिट्टी जांच के मुताबिक ही खाद व उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि किसी कारणवश मिट्टी जांच न हो सके, तो उस स्थिति में गोबर की खाद व उर्वरकों का इस्तेमाल इस तरह करना चाहिए :
गोबर की खाद 10-15 टन, नाइट्रोजन 120 किलोग्राम, फास्फोरस 80 किलोग्राम, पोटाश 80 किलोग्राम.
गोबर की खाद को पहली जुताई से पहले ही खेत में बिखेर देना चाहिए. साथ ही, फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा का मिश्रण बना कर आखिरी जुताई के समय जमीन में डालनी चाहिए.
नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा को 2 भागों में विभाजित कर के डालना चाहिए. पहली खुराक रोपाई के 20 दिन बाद और दूसरी खुराक रोपाई के 40 दिन बाद देनी चाहिए.
पौधों की अधिक बढ़ोतरी व फूलों की अच्छी उपज के लिए वानस्पतिक बढ़ोतरी के समय 15 दिनों के अंतराल पर 0.2 फीसदी यूरिया के 2 पर्णीय छिड़काव करने चाहिए.
प्रवर्धन : आमतौर पर किसान गेंदे को बीज द्वारा प्रवर्धित करते हैं, क्योंकि बीज द्वारा प्रवर्धित पौधे सेहतमंद होते हैं और खेत में अच्छी तरह जम जाते हैं. बढ़ोतरी व पुष्पन में एकरूपता लाने के लिए कुछ किसान इसे कलमों द्वारा भी प्रवर्धित करते हैं.
बीज प्रवर्धन : गेंदे के बीज आमतौर पर 18-30 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान पर अंकुरित होते हैं. नर्सरी की क्यारियों में गोबर की खाद डाल कर भलीभांति मिला देनी चाहिए. नर्सरी की क्यारी सुविधाजनक आकार की बनानी चाहिए. एक हेक्टेयर के लिए रोपाई तैयार करने के लिए 800 ग्राम बीज पर्याप्त हैं.
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