फार्म एन फूड अवार्ड के लिए ऐसे किसानों का चयन किया गया, जिन किसानों ने खेती, बागबानी, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन, डेरी, मशरूम, बकरीपालन इत्यादि के जरीए अपनी और अपने परिवार के साथ अन्य लोगों की आय में इजाफा करने में कामयाबी पाई है.
आयोजन के मुख्य अतिथि सिद्धार्थ नगर जिले के मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार (आईएएस) रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में उपनिदेशक, कृषि, जिला उद्यान अधिकारी सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.
अतिथि बोले
इस मौके पर अरविंद कुमार विश्वकर्मा, उपनिदेशक, कृषि ने कहा कि देश की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा अन्नदाता किसानों की कड़ी मेहनत से आता है. ऐसे में अगर किसान उन्नत तकनीकी जानकारी, खेती में मशीनों और यंत्रों का प्रयोग करते हुए उच्च उत्पादकता वाली किस्मों का प्रयोग करें, तो किसानों की आमदनी के साथसाथ देश की आय में भी इजाफा किया जा सकता है.
उपनिदेशक कृषि ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि महकमे से तमाम योजनाएं क्रियान्वित हैं, जिस का लाभ किसान ले कर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं.
उन्होंने किसानों को यह भी बताया कि इस के लिए विभाग में पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाई जाती है. ऐसे में जो किसान औनलाइन टोकन जनरेट करने में कामयाब रहते हैं, उन्हें योजनाओं का लाभ सीधे दिया जाता है.
नन्हे लाल वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि बागबानों और किसानों के लिए सब्जी की खेती, बागबानी सहित पौलीहाउस जैसी आय बढ़ाने वाली तकनीकियों पर सरकारी अनुदान उपलब्ध है. इच्छुक किसान विभाग से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं.
पत्रिका की सराहना
मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार ने किसानों की प्रिय पत्रिका 'फार्म एन फूड' की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें 'फार्म एन फूड' पीडीएफ में पढ़ने को मिली थी, लेकिन पहली बार प्रिंट पत्रिका को पढ़ने का मौका मिला है.
उन्होंने आगे कहा कि इस पत्रिका के लेख किसानों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकते हैं.
आयोजन के मुख्य सहयोगी
هذه القصة مأخوذة من طبعة September First 2023 من Farm and Food.
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अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.