मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद
Farm and Food|May Second 2024
आज के समय में किसान या उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का जम कर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से मिट्टी की पैदावार कूवत पर उलटा असर पड़ता है, इसलिए मिट्टी के इन गुणों को सुधारने के लिए हरी खाद का इस्तेमाल समय की पुकार है. किसान अपने खेत में हरी खाद का इस्तेमाल कर के मिट्टी की पैदावार कूवत बढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा उपज ले सकेंगे.
गंगाशरण सैनी
मिट्टी में उपजाऊपन बढ़ाए हरी खाद

हरी खाद बनाने की विधियां 

जलवायु और मिट्टी के मुताबिक हरी खाद बनाने की विभिन्न विधियां प्रचलित हैं. उत्तरी व पश्चिमी भारत में हरी खाद की फसल उगा कर उसी खेत में फूल आने से पहले दबा दी जाती है, जबकि पूर्वी व मध्य भारत में हरी खाद की फसल मुख्य फसल के साथ उगा कर तैयार की जाती है. वहीं दक्षिण भारत में हरी खाद की फसलों को खेत की मेंड़ों पर उगाया जाता है.

आमतौर पर हरी खाद को इन विधियों से भी उगाया जाता है:

खेत में हरी खाद की फसल उगा कर मिट्टी में दबाना: इस विधि का इस्तेमाल उन्हीं इलाकों में किया जाता है, जहां सिंचाई का सही इंतजाम होता है.

इस विधि में हरी खाद बनाने के लिए जिस खेत में हरी खाद वाली फसलें उगाई जाती हैं, उसी खेत में पलट कर दबा दी जाती हैं. हरी खाद के लिए दलहनी और अदलहनी फसलें उगाई जाती हैं. जल्दी पकने वाली फसलें जैसे सनई, ढैचा, मूंग, उड़द, लोबिया वगैरह की बोआई की गई फसल को फूल आते ही खेत में दबा देते हैं.

हरी खाद की हरित पर्ण विधि: इस विधि में पेड़ों या झाड़ियों की कोमल पत्तियों, शाखाओं व टहनियों को दूसरे खेत से तोड़ कर वांछित खेत में डाल कर जुताई कर के दबाते हैं.

यह विधि उन इलाकों में ज्यादा चलन में है, जहां सालाना बारिश कम होती है. इस विधि में दूसरे खेतों में उगाई गई हरी खाद की फसल को काट कर वहीं खेतों में डाल कर मिट्टी में दबा देते हैं.

अनेक पौधों को मेंड़ों और बेकार पड़ी मिट्टी में हरी पत्तियों के मकसद से उगाया जाता है. इन झाड़ियों की हरी पत्तियों को तोड़ कर खेत में डाल देते हैं. मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर जमीन में दबा देते हैं. इस विधि में दलहनी या अदलहनी दोनों तरह के पौधे हो सकते हैं. सदाबहार, सुबबूल, अमलताश, सफेद आक वगैरह.

हरी खाद के फायदे

• मिट्टी में जैविक तत्त्वों की बढ़वार होती है, जिस से मिट्टी की उपजाऊ कूवत बढ़ती है.

• खनिज पौषक तत्त्वों की मौजूदगी में बढ़ोतरी होती है.

• मिट्टी की जैविक गतिविधियों में सुधार होता है.

• खेती उत्पाद के स्वाद में बढ़ोतरी होती है.

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