पशुओं के नवजात बच्चों के जन्म से ले कर युवावस्था तक अच्छी प्रबंधन व्यवस्था, पशुओं और किसानों दोनों के लिए एक सफल और लाभदायक काम है. नवजात पशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए खीस प्रबंधन बहुत ही महत्त्वपूर्ण है.
ब्यांत के बाद गाय जो पहला पीला और गाढ़ा दूध देती है, उसे 'कोलोस्ट्रम' यानी 'खीस' कहा जाता है. नवजात बच्चे के लिए यह दूध बहुत ही गुणकारी है, क्योंकि यह उन्हें संक्रामक रोगों से बचाता है. यह पोषक तत्त्वों और एंटीबॉडी से भरपूर होता है. खीस में मौजूद एंटीबॉडीज नवजात बच्चे को उस की शुरुआती सुरक्षा प्रदान करते हैं.
लगभग सौ साल पहले एक शोध से यह पता चला था कि जिन नवजात बछड़ों को दूध पिलाया गया था, उन में से कई की मृत्यु दस्त लगने के कारण हो गई थी, जबकि जिन बछड़ों को जन्म के बाद ही खीस पिलाया गया, वे स्वस्थ रहे, इसलिए यह माना गया कि खीस में कुछ महत्त्वपूर्ण तत्त्व होते हैं, जो नवजात पशु को प्रतिरक्षा (बीमारियों से बचाव ) प्रदान करते हैं और ब्यांत के बाद मृत्यु दर को काफी कम करते हैं.
जन्म के तुरंत बाद नवजात बछड़े में बीमारी से सुरक्षा का अभाव होता है, क्योंकि एंटीबॉडी गाय की नाल से हो कर भ्रूण के संचार तंत्र तक नहीं पहुंच पाती है, इसलिए उन्हें संक्रामक रोग होने का खतरा हमेशा बना रहता है. हालांकि नवजात बछड़े में एंटीबॉडी पैदा करने की क्षमता होती है, लेकिन यह क्षमता बहुत कम होती है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
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