पालक की खेती करने के पहले यह तय कर लेना चाहिए कि जिस खेत में आप उसे बोने जा रहे हैं, वह समतल हो और उस में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो. पालक की खेती के लिए सब से उपयुक्त मिट्टी बलुई दोमट होती है.
पालक को बोने के पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए. इस के लिए हैरो या कल्टीवेटर से 2-3 जुताई की जानी अच्छी होती है. जुताई के समय ही खेत से खरपतवार निकाल लेना चाहिए. अच्छी उपज के लिए खेत में पाटा लगाने से पहले 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद व 1 क्विंटल नीम की खली या नीम की पत्तियों से तैयार की गई खाद को खेत में बिखेर देना चाहिए.
पालक की उन्नत किस्में
पालक की बोआई के पहले यह तय कर लें कि आप जिस किस्म का चयन कर रहे हैं, वह अधिक उपज देने वाली हो. पालक की उन्नतशील प्रजातियों में जोबनेर ग्रीन, हिसार सलैक्शन-26, पूसा पालक, पूसा हरित, आलग्रीन, पूसा ज्योति, बनर्जी ज्वाइंट, लौंग स्टैंडिंग, पूसा भारती, पंत कंपोजिटी-1, पालक नं. 15-16 प्रमुख हैं. इन प्रजातियों के पौधे लंबे, पत्ते कोमल व खाने में स्वादिष्ठ होते हैं.
बोआई का उचित समय
वैसे तो पालक की बोआई पूरे साल की जा सकती है, लेकिन इस की बोआई का सर्वाधिक उपयुक्त समय फरवरी और मार्च व नवंबर से दिसंबर माह का होता है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
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लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
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केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
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