यह अचार दूसरे अचारों की तुलना में अधिक उत्तेजक होता है और विभिन्न स्वाद में भिन्नता लाता है. मशरूम अचार का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है. मशरूम में प्रोटीन, विटामिन और अन्य खनिज होते हैं, जो शारीरिक और दिमागी सेहत को बढ़ावा देते हैं. साथ ही, मशरूम का अचार एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है, जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करता है.
मशरूम अचार को विशेष रूप से परांठे, रोटी, चावल आदि के साथ खाया जाता है. इस का खाने में प्रयोग हमारे खाने को और भी अधिक लजीज, रुचिकर व पौष्टिकता भी देता है, इसलिए भारतीय रसोई में मशरूम अचार का स्थान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है.
ढिंगरी मशरूम में विटामिन डी, विटामिन बी-कौंप्लैक्स, अमीनो एसिड, पोटैशियम और अन्य महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूती देते हैं और इम्यून सिस्टम को सही रखने में मदद करते हैं.
बनाने की विधि
ढिंगरी मशरूम को आमतौर पर एल्म ओएस्टर या ब्लू ओएस्टर कहा जाता है. व्यावसायिक रूप से खेती की जाने वाली अन्य मशरूम की तुलना में ढिंगरी मशरूम की श्रेष्ठ प्रजाति है, लेकिन रूपात्मक और जैविक दक्षता में भिन्न है.
यह एक नावेल प्रजाति है, जिस में बहुत बड़े फलने वाले शरीर (फ्रूइटिंग बौडीज) होते हैं, नीले रंग के पिनहेड्स परिपक्वता पर हलके सफेद हो जाते हैं और स्वादिष्ठ स्वाद के साथ उच्च उपज वाले होते हैं.
इस मशरूम की किस्म में आकर्षक आकार है. यह उत्कृष्ट स्वाद के साथ मांसल है. इस मशरूम की पैदावार, स्पोरोफोर आकार, स्वाद और बनावट, अन्य वाणिज्यिक ढिंगरी मशरूम की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है. इस के अलावा इस की बीजाणु सामग्री बहुत कम है, इसलिए सांस संबंधी एलर्जी की समस्या नहीं होती है, क्योंकि वर्तमान में सीप की प्रजातियों में बीजाणु सामग्री बहुत अधिक होती है.
पौष्टिक रूप से इस मशरूम में 27.2 फीसदी कच्चा प्रोटीन, 58.1 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 4.1 फीसदी रेशा और 350.4 ऊर्जा होती है. यह पेट और आंतों के रोगों के लिए अत्यधिक अनुशंसित है, इसलिए अचार बनाने के लिए मशरूम की इस नई प्रजाति का चयन किया गया है.
आवश्यक सामग्री :
- 500 ग्राम ताजा ढिंगरी मशरूम
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अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.