मानव जीवन के फैलाव का महत्त्वपूर्ण समय है युवावस्था व्यक्ति की कई शक्तियों, प्रतिभाओं, क्षमताओं का इस समय पूर्ण उठाना होता है।
युवकों में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक आदि परिवर्तन की अपार सामर्थ्य होती है। स्वामी विवेकानंद ने भारत की युवा शक्ति को बलवान चरित्रवान, कर्म निष्ठ बनाने के लिए देश भर में तेज पूर्ण ज्ञान दिए थे। वे विचार अब भी भारत के युवक-युवतियों के लिए अनुकरण है।
स्वामी जी के कुछ प्रेरक वचन निम्नांकित है-
"तोते के बराबर बातें करना हमारा अभ्यास हो गया है।
व्यवहार में हम बहुत पिछड़े हुए हैं। इसका कारण क्या है? शारीरिक दुर्बलता। कमजोर मस्तिष्क कुछ नहीं कर सकता।
हमको अपने मस्तिष्क को बलवान बनाना होगा- मैंने कुछ अनुभव प्राप्त किया है।
बलवान शरीर से अथवा खूब मजबूत स्नायुओं से तुम गीता को ज्यादा समझ सकोगे। शरीर में ताजा रक्त होने से तुम कृष्ण की महान प्रतिभा और महान तेजस्विता को अच्छी तरह समझ सकोगे।
जिस समय तुम्हारा शरीर तुम्हारे पैरों के बल मजबूत भाव से खड़ा होगा, जब तुम अपने को मनुष्य समझोगे, जब तुम उपनिषद और आत्मा की महिमा भली भांति समझोगे।"
"तुममें से प्रत्येक का भविष्य प्रकाशमान है। अपने आप पर गहरा दृढ़ विश्वास रखो। वैसा ही विश्वास, जैसे मैं बाल्यकाल में अपने ऊपर रखता था और जिसे मैं अब कार्यान्वित कर रहा हूं। तुम सभी अपने आप पर विश्वास रखो। यह विश्वास रखो कि प्रत्येक की आत्मा में असीम शक्ति विद्यमान है। - वेदों में कहा गया है। 'बलवान, निरोग, तेज धारण-शक्ति वाले और उत्साहयुक्त मनुष्य ही ईश्वर के पास पहुंच सकते हैं।" तुम्हारे भविष्य को निश्चित करने का यही समय है।
इसीलिए मैं कहता हूं कि अभी इस भरी जवानी में इस नए जोश के जमाने में ही कामकरो, जीर्ण-शीर्ण हो जाने पर काम नहीं होगा।
काम करो, क्योंकि काम करने का यही समय है। सबसे ज्यादा ताजे, बिना स्पर्श किए गए और बिना सूंघे फूल ही भगवान के चरणों पर चढ़ाएं जाते हैं और वे उन्हें स्वीकार करते हैं। अपने पैरों पर खड़े हो जाओ, देर न करो।"
"हर एक स्त्री को, हर एक पुरुष को और सभी को ईश्वर के ही बराबर देखो।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।