![कैसे करें पढ़ाई ? कैसे करें पढ़ाई ?](https://cdn.magzter.com/Sadhana Path/1675663598/articles/pi4TQE9TY1675772993040/1675774040214.jpg)
केवल आप ही तय कर सकते हैं कि आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी, आप अपने समय व संसाधनों का कैसे उपयोग करेंगे। अपने दोस्तों या छात्रों के बहकावे में आकर समय बरबाद न करें। 'बिग पिक्चर' को दिमाग में रखें। आपको पता होना चाहिए कि कब और क्या करना है। अपने लक्ष्य दिमाग में रखें। लोगों को अपने काम पर हावी न होने दें। अपने दिन के उत्पादक समय का पता लगाएं। अगर सुबह के समय पढ़ाई अच्छी होती हो तो कठिन विषय उसी समय लें। यदि एकाग्रता में कमी आ रही हो तो उस समय कोई आसान विषय पढ़ें।
यदि कुछ समझ न आए तो पढ़ने के नए-नए तरीके खोजें। बार-बार उस सामग्री को पढ़ने से कोई फायदा नहीं होगा। किसी से मदद लें या ग्रुप स्टडी करें।
जितनी मेहनत करेंगे, उतनी ही सफलता मिलेगी। जब आपको अपने काम से पूरी संतुष्टि होगी तो, ग्रेड बढ़ियां ही आएगा। कक्षा में बेहतर प्रदर्शन करें। इस तरह आप जानेंगे कि आपकी कोशिश का क्या परिणाम रहा। सबसे पहले तो पढ़ने की अच्छी सी जगह तलाशें। यदि सही जगह नहीं मिल पाई तो आप ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाएंगे।
पढ़ने की सही जगह
• आप आसानी से पढ़ने की बढ़िया जगह का चुनाव कर सकते हैं अगर वहां पहले से ही कोई और बैठता है तो कोई दूसरी जगह चुनें।
• इस तरह आप अनावश्यक शोरगुल से बचे रहेंगे। अच्छी पढ़ाई के लिए माहौल शांत होना चाहिए।
• आसपास से आती आवाजें भी ध्यान भंग करती हैं।
• आपके पास एक अच्छा डेस्क होना चाहिए जिस पर पढ़ाई का सारा सामान आ सके। अगर बार-बार सामान लेने के लिए उठना पड़ा तो काफी समय बरबाद हो जाएगा। अपने पैन, पैंसिल, कॉपी, रबड़ व कम्प्यूटर आदि वहीं रखें।
• आपके पास ऐसी कुर्सी होनी चाहिए जिस पर आप लंबे समय तक आराम से बैठ सकें। अगर कुर्सी आरामदेह नहीं हुई तो पढ़ने में मन नहीं रमेगा।
• आपके आसपास का तापमान भी ज्यादा गर्म या ज्यादा सर्द न हो कर, सामान्य होना चाहिए।
• पढ़ने के स्थान पर सही प्रकाश व्यवस्था हो ताकि आंखों पर जोर न पड़े । कम रोशनी में पढ़ने से सिर-दर्द होगा और पढ़ाई भी ढंग से नहीं हो पाएगी।
पढ़ने के समय का प्रबंधन
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देश-विदेश में बसंत पंचमी के विभिन्न रंग
विविधता में एकता वाले हमारे इस देश में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं। हालांकि यहां विभिन्न क्षेत्रों में त्योहार मनाने के ढंग अलग होते हैं, पर सभी त्योहारों के पीछे उद्देश्य एक ही होता है अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना तथा हर्षोल्लास से एक साथ मिलकर अपनी खुशियों को बढ़ाना।
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बसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है जो अपने साथ प्राकृतिक सौंदर्य हीं नहीं लाती बल्कि मनुष्य के मन में उमंग और हर्षोल्लास भी लाती है। ऋतुओं के राजा बसंत के साथ और क्या-क्या जुड़ा है ? जानिए इस लेख से।
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यूं तो हर इंसान का प्रेम अपने आप में सम्पूर्ण व अनुकरणीय होता है परन्तु कुछ लोगों का प्रेम इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो जाता है। आइये नमन करें कुछ ऐसे ही प्रेम के प्रतीकों को।
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अपने पारिवारिक जीवन की चर्चा या कोई उलझन कभी किसी पुरुष सहयोगी के सामने बयां न करें अन्यथा वह सहानुभूति दर्शाकर सहयोग देने की पेशकश करेगा और अंततः आपके दुख, जो दुख न होकर सिर्फ क्षणिक क्रोध था, को हवा देगा।
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अखरोट खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद भी होता है। आखिर अखरोट खाने के क्या हैं फ़ायदे, यह किस तरह से और किस समय खाना चाहिए, आइए जानें-
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सफर के दौरान खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि सफर का लुत्फ तभी लिया जा सकता है जब आपका स्वास्थ्य अच्छा हो।
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नूतन उत्साह का प्रतीक बसंत पंचमी
प्रकृति में बसंत के आगमन की टोह मन में एक नए उल्लास, आशा एवं अचानक ही लगता है कि मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो उठा है। परिवर्तन में भावों की पावन धाराएं बहने लगी हैं और हमारे तन, मन और व्यवहार में सुंदर एवं सुमधुर अभिव्यक्तियां झलकने लगती हैं। कहते हैं, प्रकृति जब मुस्कुराने लगती है, तब उसके अंतर्गत आने वाले सभी जड़-जीव एवं मनुष्यों में मुस्कुराहट फैल जाती है।