यूंतो वर्ष भर में मनाये जाने वाले व्रतों, पर्वों तथा त्योहारों की लम्बी श्रृंखला है, क्योंकि हमारा कोई भी मास, तिथि अथवा वार ऐसा नहीं है जिस दिन किसी व्रत, किसी पर्व या त्योहार मनाने का विधान न हो। पूर्णिमा, अमावस्या जैसी कई तिथियां तो ऐसी हैं कि अनेक व्रतों, पर्वों एवं त्योहारों का संगम हो जाता है। पूर्णिमा को सौभाग्यशाली महिलाएं सौभाग्य की अभिवृद्धि के लिये व्रत रखती हैं एवं सायंकाल में पूर्ण चन्द्र को अर्घ्य समर्पित करके व्रत की पारणा करती हैं। इनके अतिरिक्त व्यास पूर्णिमा, उपाकर्म एवं रक्षाबन्धन, महालयारम्भ, पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा एवं होली जैसे त्योहारों का सम्बन्ध भी इस तिथि के साथ है। परन्तु एक कार्य ऐसा है जो इस दिन, सारे विश्व में जहां-जहां हिन्दू सनातनधर्मी निवास करते हैं, वहां-वहां पूरी निष्ठा के साथ ही सम्मान के साथ सम्पन्न किया जाता है। वह है श्री सत्यनारायण व्रत कथा का श्रद्धापूर्वक अनुष्ठान। इस अनुष्ठान को बन्धु - बान्धवों सहित उत्सव ब की भांति मनाकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
नारायण ही हैं एकमात्र सत्य
महर्षि वेद व्यास ने विभिन्न पुराणों में सत्यान्नास्ति परो धर्मः, सत्ये सर्व प्रतिष्ठितम्, सत्येन लोकान्जयति, नास्ति सत्यात् परं तपः, इत्यादि वचनों द्वारा पदे- पदे सत्य की महिमा का प्राख्यापन किया है। स्थावर-जंगमात्मक इस नाना विधि सृष्टि में भगवान श्री मन्नारायण ही एकमात्र सत्य हैं। शेष समस्त प्रपन्च नामरूपात्मक होने से मिथ्याकल्प हैं। सकलशास्त्रानुमोदित इस सिद्धांत के अनुसार ही ब्रह्मादि देवता गर्भस्तुति के समय भगवान श्री कृष्ण की सत्यरूप में वन्दना करते हैं। अर्थात् हे प्रभो! आप सत्य संकल्प हैं। सत्य ही आपकी प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन है। सृष्टि के पूर्व प्रलय के पश्चात एवं जगत की स्थिति के समय इन असत्य अवस्थाओं में भी आप सत्य हैं। पृथ्वी, जल, तेज, वायु, एवं आकाश इन पांच दृश्यमान सत्यों के आप कारण हैं एवं उनमें अर्न्तयामी रूप से विराजमान भी आप हैं। आप ही मधुर वाणी एवं समदर्शन के प्रतीक हैं। आप इस दृश्यमान जगत के परमार्थरूप हैं। हे भगवन! आप तो साक्षात सत्यस्वरूप ही हैं। हम सब आपकी शरण में हैं।
नारायण शब्द का अर्थ
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।