वैशाख पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए काफी महत्त्व रखता है। यह बौद्धों के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। वैशाख पूर्णिमा का महत्त्व केवल भारत में ही नहीं, लंका, बर्मा, चीन, जापान, थाईलैंड, कोरिया सहित आदि विश्व के अनेक देशों में भी है। आज ही के दिन हजारों वर्ष पहले लगभग 563 ई.पूर्व में बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध (सिद्धार्थ) जी का जन्म शाक्यवंशी क्षत्रिय कुल में कपिलवस्तु की महारानी माया देवी के गर्भ से लुम्बिनी के जंगलों में हुआ था। यह स्थान आज नेपाल राज्य के अंतर्गत भारतीय सीमा से लगभग 5 मील की दूरी पर है। महात्मा बुद्ध को विष्णु के नौवें अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महात्मा बुद्ध के जीवन की सभी प्रमुख घटनाएं अर्थात् उनका जन्म, उन्हें सत्य का ज्ञान और निर्वाण यानी उनकी मृत्यु सभी एक ही दिन हुई थी। वह दिन था वैशाख माह की प्रथम पूर्णिमा।
गृह त्याग
सिद्धार्थ जन्म से ही बड़े शांत स्वभाव के थे। इनका पालन-पोषण इनकी मौसी गौतमी ने किया, जिस कारण इन्हें गौतम कहा गया है। सिद्धार्थ बचपन से ही सांसारिक वस्तुओं के उपभोग से विरक्त रहा करते थे और अपना ज्यादा समय एकांतवास में व्यतीत किया करते थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्होंने एक बूढ़ा, रोगी और एक मृत व्यक्ति दिखा तो उनकी जीवन जीने की दृष्टि ही बदल गई। ऐसा कम ही होता है कि जनजीवन की घटनाओं को देखकर ही किसी के मन में वैराग्य जाग जाए। गौतम बुद्ध यानी सिद्धार्थ ने जब एक व्यक्ति को मृत अवस्था में देखा, तो उन्हें बोध हुआ कि यह शरीर और इससे संबंधित नाते-रिश्ते नश्वर हैं। तब उन्होंने लोक कल्याण के लिए सत्य की खोज का मार्ग अपनाया। पिता शुद्धोधन के विशाल साम्राज्य का लोभ, सुकोमल सुन्दर पत्नी यशोधरा का प्रेम और पुत्र राहुल को सीता छोड़ 19 वर्ष की अवस्था में रात को घोर अंधकार में सिद्धार्थ गृह त्याग कर इस क्षणिक संसार से विदा लेकर सत्य की खोज में जीवन और मृत्यु का निदान ढूंढने महायात्रा पर निकल पड़े। यात्राएं तो बहुत ही हुआ करती हैं, परंतु जिस यात्रा के बाद प्राणी वापस लौट कर नहीं आते वह कहलाती है 'महायात्रा'।
ज्ञान की प्राप्ति
هذه القصة مأخوذة من طبعة May 2023 من Sadhana Path.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة May 2023 من Sadhana Path.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।