
प्रारंभ में पलाश झाड़ीनुमा उगता है, परंतु शीघ्र ही पेड़ का रूप धारण कर लेता है। पलाश का फूल चोंच की तरह निकलता है और खिलने पर केसरिया रंग का हो जाता है। पलाश के पेड़ से एक प्रकार का रस निकलता है, जो सूखकर गोंद बन जाता है। यह गोंद बहुत उपयोगी होता है। पलाश कसैला, शीतल, कटु, तिक्त, गर्म, चरपरा और स्निग्ध होता है। इसे अग्निदीपक, वीर्यर्धक, सारक और मलरोधक कहा जाता है। यह मिरगी, सर्पदंश, वृक्कशूल, व्रण, कृमि तथा अंडकोष की सूजन और मूत्रकृच्छ में उपयोगी होने के अलावा विभिन्न चर्म रोगों को दूर करता है। पलाश के औषधीय प्रयोग निम्नलिखित हैं-
• पलाश के बीजों को नींबू के रस के साथ लगाने से दाद और खुजली में लाभ होता है।
• पलाश के फूलों की पुल्टिस बनाकर सूजन वाले स्थान पर बांध दें। सूजन से छुटकारा मिल जाएगा।
• पलाश की छाल और सोंठ को औटा-छानकर पिलाने से सर्पदंश में काफी लाभ होता है।
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क्यों पड़ती हैं चेहरे पर झुर्रियां
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त्वचा के भीतरी पोषण के लिए ज़रूरी है कि इसे पोषणयुक्त दुलार दिया जाए। त्वचा किस प्रकार की है, इस आधार पर ही किसी के शरीर की कार्यशीलता का पता लगाया जा सकता है। तो आइए, इसी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानते हैं

गर्भपात के बाद की कमज़ोरी से ऐसे निपटें!
किसी महिला का गर्भपात होना शारीरिक और मानसिक, दोनों स्तर पर बेहद मुश्किल होता है, इसलिए जानिए कि किसी महिला को इसके बाद अपना विशेष ध्यान कैसे रखना चाहिए।

आर्य संस्कृति के प्रतीक-शिव
देवों के देव महादेव भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं।

पाचन तंत्र को ठीक करने के 21 उपाय
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रंगों का महत्त्व केवल होली तक ही सीमित नहीं, बल्कि मनुष्य के स्वभाव, उसके भविष्य एवं उसके स्वास्थ्य से भी इसका सीधा संबंध होता है।

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रंगों का पर्व होली पूरे भारत में हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत के हर क्षेत्र में होली के विविध रूप रंग, प्रथा, मेले आदि देखने को मिलते हैं। आइए लेख के माध्यम से इस पर्व पर विस्तार पूर्वक चर्चा करें।

धरती का बैकुंठ है पुरी का जगन्नाथ धाम
चार धामों में एक प्रमुख धाम, ओडिशा का जगन्नाथ धाम है। जगन्नाथ धाम की रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है जिसमें शामिल होने के लिए भक्तगण देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं। आइए जगन्नाथ धाम की महिमा पर लेख में विस्तार से चर्चा करें।

ऊर्जा का रूपांतरण
जिसे तुम 'जीवन' कहते हो या जिसे तुम ‘मैं” कहते हो, वह ऊर्जा है। तुम जितने जीवंत हो, तुम जितने जागृत हो, उतने ही तुम ऊर्जावान होते हो।

क्यों की जाती है चार धाम यात्रा?
3 अप्रैल से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू होने जा रही है, जिसके पंजीकरण की प्रक्रिया 1 मार्च से शुरू हो चुकी है।