हाल ही में ब्रिटेन के राजा प्रिंस चार्ल्स को प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे हैं। इस खबर ने पूरी दुनिया को हिला दिया है और उनके ठीक होने की कामना की जा रही है। 75 साल के किंग चार्ल्स पिछले महीने को बढ़े हुए प्रोस्टेट का इलाज करवाने के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे। तभी प्रोस्टेट कैंसर का पता चला। लेकिन प्रोस्टेट कैंसर किस स्टेज का है, इसके बारे में खुलासा नहीं किया गया है। किंग चार्ल्स उपचार कराने के बाद अस्पताल से तीन दिन बाद 29 जनवरी को घर आ गए थे। उनके प्रवक्ता का कहना है कि प्रोस्टेट कैंसर का इलाज अभी घर पर जारी है। सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले किंग चार्ल्स जल्द ठीक होकर अपना राजकीय कार्यभार संभाल लेंगे।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाले कैंसरों में दूसरा सबसे कॉमन है। 55 साल से अधिक उम्र के पुरुषों को होता है। यह कैंसर प्रोस्टेट ग्लैंड में होता है। यूरिनरी ब्लैडर के नीचे और रेक्टम के आगे और यूरिन बाहर ले जाने वाली मूत्रनली युरेथरा के चारों ओर मौजूद प्रोस्टेट ग्लैंड में होता है। यह ग्लैंड टेस्टीज से टेस्टोस्टेरान हार्मोन और एक खास किस्म का प्रोस्टेटिड फ्ल्यूड बनाता है। यह फ्ल्यूड पुरुषों के सीमन को लिक्विड मीडियम का रूप देता है, जो स्पर्म को बाहर निकालने और प्रजनन प्रक्रिया में मदद करता है।
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पहली सर्दी में नवजात शिशु का रखें खास ध्यान
वैसे तो सर्दियों का मौसम सभी के लिए कुछ अलग ही एहसास लेकर आता है, लेकिन नवजात और उसकी मां के लिए ये मौसम बेहद ख़ास होता है। नवजात शिशु की मां हर पल इसी चिंता में डूबी रहती है कि कहीं बच्चे को ठंड और वो बीमार न पड़ जाए।
वास्तु उपायों से बनाएं नववर्ष को मंगलमय
नया साल अपने साथ खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। ऐसे में पूरे वर्ष को और भी ज्यादा वास बनाने के लिए वास्तु संबंधित कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। इससे घर की परेशानियां दूर होने के साथ आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलेगा।
ज्योतिर्लिंग, रावणेश्वर महादेव
शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है पूर्वी भारत में देवधर के 'रावणेश्वर महादेव'। उनके देवधर में आवास की कथा बेहद रोचक और अद्भुत है। लंकापति रावण की मां शिवभक्त थी।
ओशो और विवेकः एक प्रेम कथा
सू एपलटन अपने पूर्व जन्म से ही ओशो की प्रेमिका रही है। अप्रैल 1971 में ओशो द्वारा संन्यास दीक्षा ग्रहण की। ओशो उसे नया नाम मा योग विवेक दिया। मा विवेक दिसंबर 09, 1989 को अपने भौतिक जीवन से पृथक हो गई।
मुझे कभी मृत मृत समझना मैं सदा वर्तमान हूं
ओशो ने मृत्यु को उसी सहजता और हर्ष से वरण किया था जिस प्रकार से एक आम व्यक्ति जीवन को करता है। उन्होंने जगत को यही संदेश दिया कि मृत्यु के प्रति सदा जागरूक रहो, उसे वरण करो। आज ओशो भले ही अपना शरीर छोड़ चुके हों लेकिन अपने विचारों के माध्यम से वो आज विश्व में कहीं ज्यादा विस्तृत, विशाल रूप से मौजूद हैं।
सर्दी बीतेगी मजेदार, जब अपनाएंगी ये 7 घरेलू नुस्खे
हम आपको ऐसे 7 टिप्स देने जा रहे हैं, जो आपको जाड़े की असल खुश महसूस करने में पूरी मदद करेंगे। इन 7 टिप्स के सहारे आप सर्दी खुशी-खुशी महसूस कर पाएंगी।
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गर्मियों की तपिश के बाद ठंडी हवाओं के चलते ही मन राहत महसूस करने लगता है, मगर यही सर्द हवाएं अपने साथ रूखापन, खांसी और जुकाम जैसी सौगात लेकर आती हैं, जो बड़े बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती हैं। अगर आप भी सर्दियों में अपने बच्चों को रखना चाहती हैं स्वस्थ, तो बरतें ये खास सावधानियां -
डायबिटीज के कारण यूटीआई का खतरा
यूं तो यूटीआई महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है, पर मधुमेह के कारण यूटीआई के संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
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