महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर शिव की प्रिय वस्तुएं अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि का पावन दिन भगवान शिव को समर्पित माना गया है। महाशिवरात्रि पर शिव भक्त शिवालयों में विधि विधान से अपने आराध्य देव की पूजा करते हैं। यूं तो भगवान शिव सच्ची श्रद्धा से याद करने पर ही भक्तों की पुकार सुन लेते हैं, परंतु शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं अर्पित करने से महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव को अति प्रिय है।
महाशिवरात्रि का पावन पर्व प्रत्येक साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भगवान शिव को दूध और जल चढ़ाने विशेष लाभ प्राप्त होता है।
हिंदू शास्त्रों में महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अर्पित की जाने वाली सभी चीजों का विशेष महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर कौन-कौन सी चीजें अर्पित करनी चाहिए।
पंचामृत से अभिषेक
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। पंचामृत दूध, केसर, शहद, गंगाजल और जल के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
बेलपत्र
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। शिवलिंग पर तीन पत्ती वाले बेलपत्र अर्पित करने चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्याओं के कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है।
धतुरा
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर धतुरा जरूर चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर धतुरा अर्पित करने से शत्रुओं के भय का नाश होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत हो है।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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