येहमारी खुशनसीबी है कि हम प्रगति के युग में जी रहे हैं। लेकिन आज के समय में टेक्नोलॉजी इंसानी जज्बातों पर हावी होती जा रही है। वैसे किसी भी चीज की अति बुरी ही होती है। उसी का परिणाम है कि इंसान मानवीय संवेदनाओं को अनदेखा कर रहा है। देखा जाए तो हमारी जिंदगी में खुद से ज्यादा टेक्नोलॉजी की दखलंदाजी बढ़ती जा रही है। जैसे कि मोबाइल, कम्प्यूटर, लैपटॉप, रूटीन गैजेट्स। जहां एक तरफ टेक्नोलॉजी हमें अपडेट कर रही है, हमारा काम आसान कर रही है वहीं दूसरी तरफ हमें ये अंदर ही अंदर खोखला भी करती जा रही है। आइए जानते हैं कैसे-
खतरनाक है मोबाइल का रेडिएशन
आज लगभग हर घर में मोबाइल इस्तेमाल किया जा रहा है। सुबह उठने से लेकर के रात सोने तक मोबाइल से दूर रहना लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया है। लेकिन क्या आपको पता है मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन हमारे लिए कितने खतरनाक हैं? अध्ययन बताते हैं कि मोबाइल रेडिएशन से लंबे समय के बाद प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और गर्भपात की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं। दरअसल, हमारे शरीर में 70 फीसदी पानी होता है। यह पानी धीरे-धीरे बॉडी में रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है आगे जाकर सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है।
नींद पर असर
जब आप दिन-रात सिर्फ और सिर्फ टेक्नोलॉजी के आदी हो जाते हैं तब नींद न आना एक आम समस्या है। इसे डॉक्टरी भाषा में इंसोम्निया कहते हैं। देर रात तक टीवी देखना, लैपटॉप चलाना या फिर मोबाइल का इस्तेमाल भी आपकी नींद में बाधक बन सकता है। ये न तो आपकी सेहत के लिए अच्छा है और न ही आपके वैवाहिक जीवन के लिए।
रिश्तों में बढ़ रही दूरियां
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पहली सर्दी में नवजात शिशु का रखें खास ध्यान
वैसे तो सर्दियों का मौसम सभी के लिए कुछ अलग ही एहसास लेकर आता है, लेकिन नवजात और उसकी मां के लिए ये मौसम बेहद ख़ास होता है। नवजात शिशु की मां हर पल इसी चिंता में डूबी रहती है कि कहीं बच्चे को ठंड और वो बीमार न पड़ जाए।
वास्तु उपायों से बनाएं नववर्ष को मंगलमय
नया साल अपने साथ खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। ऐसे में पूरे वर्ष को और भी ज्यादा वास बनाने के लिए वास्तु संबंधित कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। इससे घर की परेशानियां दूर होने के साथ आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलेगा।
ज्योतिर्लिंग, रावणेश्वर महादेव
शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है पूर्वी भारत में देवधर के 'रावणेश्वर महादेव'। उनके देवधर में आवास की कथा बेहद रोचक और अद्भुत है। लंकापति रावण की मां शिवभक्त थी।
ओशो और विवेकः एक प्रेम कथा
सू एपलटन अपने पूर्व जन्म से ही ओशो की प्रेमिका रही है। अप्रैल 1971 में ओशो द्वारा संन्यास दीक्षा ग्रहण की। ओशो उसे नया नाम मा योग विवेक दिया। मा विवेक दिसंबर 09, 1989 को अपने भौतिक जीवन से पृथक हो गई।
मुझे कभी मृत मृत समझना मैं सदा वर्तमान हूं
ओशो ने मृत्यु को उसी सहजता और हर्ष से वरण किया था जिस प्रकार से एक आम व्यक्ति जीवन को करता है। उन्होंने जगत को यही संदेश दिया कि मृत्यु के प्रति सदा जागरूक रहो, उसे वरण करो। आज ओशो भले ही अपना शरीर छोड़ चुके हों लेकिन अपने विचारों के माध्यम से वो आज विश्व में कहीं ज्यादा विस्तृत, विशाल रूप से मौजूद हैं।
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गर्मियों की तपिश के बाद ठंडी हवाओं के चलते ही मन राहत महसूस करने लगता है, मगर यही सर्द हवाएं अपने साथ रूखापन, खांसी और जुकाम जैसी सौगात लेकर आती हैं, जो बड़े बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती हैं। अगर आप भी सर्दियों में अपने बच्चों को रखना चाहती हैं स्वस्थ, तो बरतें ये खास सावधानियां -
डायबिटीज के कारण यूटीआई का खतरा
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