सुबह उठकर नहाने से लेकर खाना खाकर दफ्तर जाने तक का हम सब अपने समय हिसाब से तय करते हैं। मगर क्या हमारा तय हुआ समय खुद हमारे शरीर के लिए ही हानिकारक साबित हो रहा है ? अगर हां, तो उसे तुरंत बदल दीजिए। दरअसल, काम के बढ़ते बोझ और दिनों दिन बदल रहे लाइफस्टाइल की वजह से लोग अक्सर देर रात खाना या भोजन करने को मजबूर हो गए हैं। ऐसे में लोगों की ये आदत उन्हें कई सारी गंभीर बीमारियों का शिकार बना रही हैं। अगर आप भी उन लोगों में शुमार है, जो देर रात तक खाना खाते हैं तो एक बार देर रात भोजन करने के नुकसान के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है-
मोटापा और वजन बढ़ना
जो लोग बहुत देर रात डिनर करते हैं। उनमें मोटापा बढ़ने का खतरा सबसे अधिक होता है। इस आदत की वजह से लोगों का वजन तेजी से बढ़ता है। विभिन्न स्टडीज़ में भी यह बात कही गई कि देर रात किया गया भोजन शरीर ठीक तरीके से पचा नहीं पाता। इसीलिए यह भोजन केवल फैट के तौर पर शरीर में जमा होता है, जिससे वजन बढ़ने और मोटापे जैसी स्थितियां बनती हैं, जो हमारे शरीर को अंदर ही अंदर कई बीमारियों से घेर लेता है।
डायबिटीज़ का खतरा
जैसा कि देर रात खाया जाने वाला भोजन आसानी से डायजेस्ट नहीं हो पाता, इसीलिए शरीर में कोलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराइड्स और इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है। ज़्यादा इंसुलिन और कोलेस्ट्रॉल लेवल से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक का खतरा
रात में ब्लड प्रेशर का स्तर कम रहना चाहिए। लेकिन जब कोई देर रात खाना खाता है तो कोलेस्ट्रॉल का लेवल खुद-ब-खुद बढ़ जाता है। इससे ब्लड प्रेशर लेवल भी प्रभावित होता है। अगर रात के समय ब्लड प्रेशर ज़्यादा देर या लम्बी अवधि तक हाई रहता है तो इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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