![एक वीगन का खानपान एक वीगन का खानपान](https://cdn.magzter.com/1718015421/1730211740/articles/AoLytyaA31730441920174/1730442117884.jpg)
मुझे हुए अब दो साल से भी अधिक समय हो गया है। इस समयावधि में मेरे कुछ अनुभव रहे हैं। एथिकल-वीगनिज़्म का अर्थ एक ऐसी जीवनशैली का निर्वाह होता है, जिसमें पशुओं के साथ किसी प्रकार की हिंसा न हो। यह केवल भोजन तक ही सीमित नहीं है, लेकिन भोजन इसका एक बड़ा हिस्सा है। बहुत सारे लोग स्वास्थ्य कारणों से भी वीगन बनते हैं, विशेषकर वे जो लैक्टोस-इनटॉलरेंट हों और दूध से निर्मित उत्पादों के साथ सहज नहीं। विटामिन बी-12 को छोड़कर हर पोषक तत्व शाकाहारी भोजन से प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन नॉन-वीगन और यहां तक कि मांसाहारी भारतीयों में भी अमूमन विटामिन बी-12 की डेफिशिएंसी रहती है, जिसके लिए उन्हें सप्लीमेंट लेना होता है।
सबसे बड़ी है जो चुनौती
इन दो वर्षों की सबसे बड़ी चुनौती मेरे लिए सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक रही है। पश्चिम में किसी के वीगन होने और भारत में किसी के वीगन होने में बहुत अंतर है। पश्चिमी देशों का दूध और उससे निर्मित वस्तुओं से भारत सरीखा सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंध नहीं है। भारत में दूध, दही, घी, मक्खन, छाछ, पनीर, खोया और छेना के हज़ार सांस्कृतिक आयाम हैं, कोई उत्सव या त्योहार इनसे निर्मित सामग्रियों के बिना पूरा नहीं होता। वीगन बनने से पूर्व मैं दूध से निर्मित मिठाइयों का नित्य ही सेवन करता था। किसी नए शहर जाता तो पहले उसकी प्रसिद्ध मिठाइयों का भोग लगाना, कोई मित्र किसी शहर से आ रहा हो तो उससे कह देना कि वहां की मिठाइयां लेते आना या भेंट में भिजवा देना- यह आदत थी। मैंने 'एक मिठाईलाल की बही' शीर्षक से लेखमाला लिखी हैं। मेरी पुस्तक 'अपनी रामरसोई' का आधे से ज़्यादा हिस्सा मिठाइयों पर एकाग्र है। फिर दिन में दो-तीन मर्तबा चाय-कॉफ़ी का सेवन तो सभी की तरह होता ही था। वैसे किसी व्यक्ति का सहसा वीगन हो जाना उसके जीवन में जैसा रागात्मक-शून्य पैदा कर देता है, रोज़मर्रा की आदतों में एक अभाव रच देता है या उत्सवों-समारोहों में सब लोगों के बीच वह जैसे अन्यीकरण (एलीनिएशन) का अनुभव करता है, वह भारत में वीगन होने की बड़ी चुनौती है।
विकल्प हैं पर मिलते नहीं
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![आलस्य आभूषण है आलस्य आभूषण है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/zzbO7x8uO1738586780609/1738586965755.jpg)
आलस्य आभूषण है
जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।
![अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/L7f6G0t_W1738588139109/1738588386951.jpg)
अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर
चांदनी रात में तारों को देखना कितना अलौकिक प्रतीत होता है ना, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तारे, ये आकाशगंगाएं और यह विशाल ब्रह्मांड किस गहरे रहस्य से बंधे हुए हैं? एक ऐसा रहस्य, जिसे हम देख नहीं सकते, लेकिन जो अपनी अदृश्य शक्ति से ब्रह्मांड की धड़कन को नियंत्रित करता है। यह रहस्य है- ब्लैक होल यानी कृष्ण विवर।
![खरे सोने-सा निवेश खरे सोने-सा निवेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/CKfSefwE51738586989311/1738587546289.jpg)
खरे सोने-सा निवेश
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों सोना सदियों से एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बना हुआ है?
![छत्रपति की कूटनीति छत्रपति की कूटनीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/qxtjQ6G7u1738585953921/1738586488566.jpg)
छत्रपति की कूटनीति
पन्हालगढ़ के क़िले में आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका था। सिद्दी जौहर और मराठा सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके भी बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। शिवाजी ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और एक रणनीति रची, दुश्मनों को भेदकर निकल जाने की रणनीति ।
![एक अवसर है दुःख एक अवसर है दुःख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/3mlDP1-4B1738584303808/1738584505229.jpg)
एक अवसर है दुःख
प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है, फिर दु:ख कैसे हो सकता है जिसे महसूस करने के लिए शरीर में एक सुघड़ तंत्र है! अत: दु:ख से भागने के बजाय अगर इसके प्रति जागरूक रहा जाए तो भीतर कुछ अद्भुत भी घट सकता है!
![जोड़ता है जो जल जोड़ता है जो जल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/fhuHDvDDO1738584527654/1738585280079.jpg)
जोड़ता है जो जल
सारे संसार के सनातनी कुंभ में एकत्रित होते हैं। जो जन्मना है वह भी, जो सनातन के सूत्रों में आस्था रखता है वह भी। दुनियादारी के जंजाल में फंसा गृहस्थ भी और कंदरा में रहने वाला संन्यासी भी।
![अदाकार की खाल पर खर्च नहीं अदाकार की खाल पर खर्च नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Tnz5JrK8Q1738582558401/1738582772399.jpg)
अदाकार की खाल पर खर्च नहीं
डॉली को शिकायत है कि जो पोशाक अदाकार की खाल जैसी होती है, उसके किरदार को बिना एक शब्द कहे व्यक्त कर देती है, उसे समुचित महत्व नहीं दिया जाता।
![जब बीमारी पहेली बन जाए... जब बीमारी पहेली बन जाए...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Qc7xb4YAc1738588025693/1738588124342.jpg)
जब बीमारी पहेली बन जाए...
कई बार सुनने में आता है कि फलां को ऐसा रोग हो गया जिसका इलाज ढूंढे नहीं मिल रहा। जाने कैसी बीमारी है, कई क्लीनिक के चक्कर लगा लिए मगर रोग पकड़ में ही नहीं आया।' ऐसे में संभव है कि ये रोग दुर्लभ रोग' की श्रेणी में आता हो। इस दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी) पर एक दृष्टि डालते हैं इन रोगों से जुड़े संघर्षों पर।
![AMBITION ET संकल्प के बाद AMBITION ET संकल्प के बाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/EpMe5uRUx1738582789094/1738583308689.jpg)
AMBITION ET संकल्प के बाद
नववर्ष पर छोटे-बड़े संकल्प लगभग सभी ने लिए होंगे।
![श्वास में शांति का वास श्वास में शांति का वास](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/9neGHffJn1738586618235/1738586767864.jpg)
श्वास में शांति का वास
आज जिससे भी पूछो वो कहेगा मुझे काम का, पढ़ाई का या पैसों का बहुत तनाव है। सही मायने में पूरी दुनिया ही तनाव से परेशान है। इस तनाव को रोका तो नहीं जा सकता मगर एक सहज उपाय है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। -