प्रजनन प्रणाली महिलाओं के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रजनन क्षमता, मासिक धर्म और उनके सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। प्रजनन प्रणाली का मुख्य हिस्सा होता है, यूट्रस यानी बच्चेदानी। इसकी अच्छी सेहत के लिए सक्रिय रणनीति, डॉक्टर से नियमित मुलाकात और जीवनशैली में जरूरी बदलाव शामिल हैं। जीवन के विभिन्न चरणों में महिलाओं को कुछ विशेष यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे अनियमित पीरियड, कमजोर होती प्रजनन क्षमता, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर (सर्विकल कैंसर) की जांच, गर्भनिरोधक विकल्प और यौन संचारित रोग यानी एसटीडी । इसके अलावा कई महिलाएं पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) का अनुभव करती हैं, जो एक सामान्य हार्मोनल असंतुलन है। पीसीओएस अनियमित पीरियड और गर्भधारण में समस्याओं का कारण बन सकता है। प्रजनन आयु की लगभग 10% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित होती हैं। यूट्स की सेहत को किन-किन बीमारियों से रहता है खतरा, आइए जानें:
प्रजनन क्षमता पर ये डालते हैं असर
• एंडोमेट्रियोसिसः इसमें गर्भाशय की परत जैसी ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ते हैं, जिससे योनि में दर्द और बांझपन होता है। ये टिश्यू पेट की गुहा, मूत्राशय, मलाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय तक चले जाते हैं। एंडोमेट्रियोसिस के कारण हर माह पीरियड से पहले और पीरियड के दौरान बहुत ज्यादा दर्द और सूजन की समस्या होती है। यह बीमारी जीवनशैली को ज्यादा प्रभावित करती है।
• लेयोमायोमाः दस में से दो महिलाएं अपने जीवनकाल में लेयोमायोमा (जिसे आमतौर पर गर्भाशय फाइब्रॉइड्स कहा जाता है, जो गर्भाशय की मांसपेशी परत से उत्पन्न होने वाली एक प्रकार की गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि होती है) से प्रभावित होती हैं। ये घातक नहीं होती हैं। जबकि एक सच्चाई यह भी है कि कई महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि इसकी वजह से वे बांझपन की शिकार भी हो सकती हैं।
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