मध्यवर्गीय परिवार का इकलौता लड़का आवारा और बिगड़ैल हो गया था. मांबाप का लाड़प्यार उस पर कुछ ज्यादा ही बरसता रहा, जिस कारण वह पढ़ाईलिखाई में पिछड़ा रहता और जिद से हर जरूरी व गैरजरूरी चीजें हासिल कर लेता था. इस कारण घर वालों को उस की इच्छा पूरी करने के लिए कभीकभी कर्ज भी लेना पड़ जाता था.
राजू की एक छोटी बहन थी नेहा, जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता था. बचपन से ही राजू नेहा की बहुत केयर करता था. बाहर वाला कोई नेहा को कुछ बोल कर तो देखे, राजू उसे आड़े हाथों लेता.
राजू दिन पर दिन बिगड़ता जा रहा था. कभी इंटर कालेज बंक कर के दोस्तों के साथ सिनेमा जाता, जुआ खेलता तो कभी शराबगांजे का नशा करता था. कभी जेबखर्च न हो तो चोरियां भी वह करने लगा, मसलन चेन छीनना, पर्स लूटना, मोबाइल छीन लेना आदि. यह सब उसे बहुत आसान लगने लगा था. पुलिस का खौफ मन में नहीं था. अपने को बहुत शातिर समझने लगा था.
राजू के मम्मीपापा लाड़ले बेटे के अंधभक्त बन चुके थे, जिस से वह और अपनी मनमानी करने लगा था.
एक दिन राजू घर आया और मम्मी से 10 हजार रुपए देने को कहा. पापा दूसरे कमरे में बैठे थे. उन्होंने सुन लिया. कमरे से बाहर आए और राजू से पूछने लगे, "तुम्हें इतने पैसे की क्या जरूरत पड़ गई."
"पापा, मुझे दोस्तों को शानदार होटल में पार्टी देनी है. वे भी देते हैं," राजू लापरवाही से बोला.
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