भागदौड़भरी जिंदगी में आजकल ज्यादा से ज्यादा लोग घर बैठे औनलाइन शौपिंग पर निर्भर होने लगे हैं. आजकल ज्यादातर लोग औनलाइन चीजें खरीदते हैं. इंटरनैट और हर हाथ में फोन आ जाने से लोगों को औनलाइन शौपिंग का चस्का लग चुका है. औनलाइन शौपिंग करना भी एक तरह का एडिक्शन है और यह सब से ज्यादा ऐक्सेप्टेबल एडिक्शन माना जाता है.
हाल तो यह है कि घर में 100 ग्राम धनिया या एक ब्रैड भी चाहिए हो तो लोग औनलाइन और्डर करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैसे औनलाइन खरीदारी के इस चस्के का फायदा उठा कर वे कंपनियां ग्राहकों के दिमाग से खेल कर उन की जेब खाली कर रही हैं?
लोकल सामान भी औनलाइन खरीदना नहीं है कोई समझदारी
गोबर के उपले, सब्जियां, मिट्टी के बरतन, फूल, फल जैसे लोकल सामान जो आप के घर के आसपास आसानी से और कम दाम में मिल जाते हैं उन्हें भी औनलाइन और फटाफट डिलीवरी के साथ आप के घर पहुंचाने के पीछे कंपनियों की साजिश है. इस तरह के सामान को औनलाइन प्लेटफॉर्म पर ज्यादा पैसे खर्च कर के खरीदना कोई समझदारी नहीं है.
सेल और डिस्काउंट का खेल
फैस्टिव सीजन में सीजन में ईकौमर्स वैबसाइट्स पर बेहतरीन सेल औफर दिए जाते हैं. फैस्टिव सीजन के नाम पर सेल सब को अट्रैक्ट करती है. त्योहारों के आने के पहले ही औनलाइन शौपिंग प्लेटफौर्म पर सेल ही सेल दिखाई देने लगती है. लेकिन इन सेल्स और डिस्काउंट्स से सिर्फ कंपनियों का ही फायदा होता है. कंपनियां अपने प्रोडक्ट की एमआरपी बढ़ा कर डिस्काउंट देने का दिखावा करती हैं. जैसे, कोई प्रोडक्ट 1,000 रुपए का है तो पहले उस की एमआरपी 2,000 रुपए कर दी जाएगी, फिर उस पर 500 रुपए का डिस्काउंट मिलेगा.
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बौडी लैंग्वेज यानी हावभाव एक तरह की शारीरिक भाषा है जिस में शब्द तो नहीं होते लेकिन अपनी बात कह दी जाती है. यह भाषा क्या है, कैसे पढ़ी जा सकती है, जानें आप भी.
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युवाओं के जीवन में सोशल मीडिया हद से ज्यादा हावी होने लगा है. उन में इस का एक तरह से एडिक्शन सा हो गया है. ऐसे में जरूरी है समयसमय पर इस से डिटोक्स होने की.
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