नेमप्लेट विवाद: पुराने कानून पर नया घमासान
DASTAKTIMES|August 2024
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कावड़ यात्रा शुरू होने से पहले दुकानदारों को अपनी दुकान के बाहर साफ-साफ अपना नाम लिखने का फरमान सुनाया था, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने 'वीटो पॉवर' (अंतरिम आदेश) से रोक लगा दी। सुप्रीम अदालत की दखलंदाजी के बाद योगी सरकार के लिए खानपान की दुकानों पर नेम प्लेट लगाने वाला अपना आदेश लागू करना मुश्किल हो गया है, लेकिन योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अपने फैसले पर अडिग नजर आ रही है।
अजय कुमार
नेमप्लेट विवाद: पुराने कानून पर नया घमासान

लोकतंत्र में जनता सरकार चुनती है, जो संविधान के तहत चलती है। जरूरत के अनुसार चुने हुए सांसद और सरकार पुराने कानून में संशोधन और नये कानून बनाते हैं। फिर इसी कानून के तहत अपनी सरकार चलाते हैं। जनता भी कानून का पालन करे, इसके लिए सरकार हमेशा प्रयत्नशील रहती है, जो नागरिक इसकी अवहेलना या किसी तरह का आपराधिक कृत्य करता है, न्यायपालिका कानून के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई करके सजा सुनाने के अलावा उसकी सम्पति को कुर्क करने और और कभी-कभी जुर्माना लगाने जैसा सख्त आदेश देता है। कई मामलों में तो उम्रकैद से लेकर फांसी तक का प्रावधान है। यह कानून का एक पक्ष है। दूसरी हकीकत यह है कि इतना सब होने के बाद भी अपने देश में हर स्तर पर कानून की धज्जियां उड़ती रहती हैं। न तो कानून बनाने वाली सरकार इस बात का पालन करती है और न ही तमाम छोटी-बड़ी अदालतें अपने दायरे में रहकर फैसले सुनाती हैं। इसको लेकर बहस भी छिड़ी रहती है किन्तु समस्या तब आती है जब शीर्ष अदालतें ही सरकार के समानांतर खड़ी होती नजर आती हैं। कुछ अदालतों द्वारा पहले अपने हिसाब से कानून की व्याख्या की जाती है और फिर उसी के अनुसार फैसला सुना दिया जाता है। जैसा कि हाल फिलहाल में भी देखा गया, जब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सहित कुछ अन्य राज्यों की बीजेपी सरकार के एक फैसले को अदालत ने बिना किसी गहन सुनवाई के अपने एक अंतरिम आदेश से ठंडे बस्ते में डाल दिया। मामला कावड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने का सामान बेचने वाले दुकानदारों के लिए अपनी दुकान के फ्रंट में नेमप्लेट लगाने के योगी सरकार के फैसले से जुड़ा हुआ था।

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डिजिटल अरेस्ट डर के आगे हार!
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आज के युग में मोबाइल या लैपटॉप आम आदमी के जीवन में काफी प्रसांगिक ये हैं। लेकिन डिजिटल विकास तमाम खूबियां के साथ कुछ खामियां भी लाया है। सात समुंदर पार बैठा शख्स भी किसी से नजदीकियां बढ़ा सकता है, लेकिन इस शख्स की सोच के बारे में कोई डिवाइस नहीं बता सकती है कि वह किस श्रेणी का इंसान है। यहीं से साइबर क्राइम की शुरुआत होती है।

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शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।

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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
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बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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प्रदूषण से सांसत में जान
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दिल्ली राजधानी क्षेत्र में आजकल हवा में पीएम 10 का स्तर 318 और पीएम 2.5 का स्तर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है जिसके फिलहाल कम होने की उम्मीद बेमानी है। जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम ही उचित माना जाता है। खतरनाक स्थिति यह है कि दिल्ली के आसमान पर अब धुंध की परत साफ दिखाई दे रही है।

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पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
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पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

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