- 50 लाख कर्मचारी भारत में आइटी और आइटीईएस क्षेत्र में काम करते हैं
- 14 लाख है शीर्ष चार स्टाफ काम कर रहा भारतीय आइटी सेवा कंपनियों में
एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मिड लेवल का एक आइटी कर्मचारी अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी के साथ छिपे तौर पर फ्रीलांस काम करता है और अतिरिक्त कमाई पत्नी के बैंक खाते में जमा करवाता है. काम में माहिर यह कर्मचारी, जिसके किसी ग्राहक को कभी उससे ऊपर के अधिकारियों के पास जाने की नौबत नहीं आई, अपने पिता की मृत्यु होने पर परिवार का कर्ज चुकाने के लिए अतिरिक्त काम लेता है.
टेलीकॉम के एक लीड डेवलपर का कहना है कि उसकी पूर्णकालिक नौकरी से रोजी-रोटी चल जाती है पर उद्यमी बनने का अपना सपना साकार करने के लिए वह अतिरिक्त काम करता है. हालांकि, उसके नियोक्ता को दूसरी आमदनी के बारे में पता नहीं है. शुरुआत में मुश्किल होती थी पर बाद में उसे लगा कि वह दोनों काम मजे से संभाल सकता है. एक सॉफ्टवेयर डेवलपर का कहना है कि पिछली बार जब उसने स्टार्ट-अप बनाया था तो उसमें कर्मचारियों को फ्रीलांस काम करने देता था क्योंकि यह नई कंपनी उन्हें पिछली नौकरियों के बराबर तनख्वाह नहीं दे पाती थी.
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"