भारत में 3,000 से ज्यादा बी-स्कूल हर साल 3,00,000 से ज्यादा मैनेजमेंट ग्रेजुएट तैयार करते हैं. मगर कई सर्वे और अनुमानों से अक्सर पता चला कि इनमें से 20 फीसद से भी कम रोजगार लायक होते हैं. बीते दो साल महामारी के कारण शिक्षा चक्र में बाधा आई और कई संस्थानों के गुणात्मक नतीजों पर बहुत बुरा असर पड़ा. कोरोना वायरस के हमले से आमूलचूल बदल चुकी नई उभरती दुनिया में डिजिटल साधनों के चलते कई इनसानी हुनर बेकार हो गए या मौजूदा हुनरों में लगातार नवाचार और मूल्य संवर्धन की जरूरत आन पड़ी. इससे शिक्षा संस्थानों को नई सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रासंगिक और योग्य मानवीय संसाधन तैयार करने की लगातार बढ़ती मुश्किलों और नई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है.
इस संदर्भ में इंडिया टुडे-एमजीएमआर बेस्ट बिजनेस स्कूल सर्वे के नतीजों ने और भी ज्यादा अहमियत अख्तियार कर ली है. बिजनेस शिक्षा की बढ़ती लागत और मौजूद हुनर के साथ रोजगार की घटती गुंजाइश के बीच छात्रों को यह जानना-समझना होता है कि उन्हें काम के विकसित हो रहे माहौल के लिए तैयार करने वाली शिक्षण कला का विजन और इन्फ्रास्ट्रक्चर किन संस्थानों के पास है. बेस्ट बी-स्कूलों ने दिखाया है कि भावी चुनौतियों को लेकर वे सजग और सतर्क हैं.
हैरानी नहीं कि पारंपरिक तौर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले संस्थानों ने इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट बिजनेस स्कूल सर्वे के 2022 के संस्करण में भी अपने मजबूत गढ़ बरकरार रखे. इस सर्वे में 281 संस्थाओं ने हिस्सा लिया. पिछले साल के प्रदर्शन को जारी रखते हुए भारतीय प्रबंधन संस्थान कलकत्ता एक बार फिर देश का नंबर 1 बी-स्कूल बनकर उभरा, जिसके बाद भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद नंबर 2 और भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर नंबर 3 पर हैं. शीर्ष 10 जगहों में से पांच पर आइआइएम विराजमान हैं. निजी संस्थानों में एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च (एसपीजेआइएमआर) ने पिछले साल की अपनी नंबर 1 स्थिति बरकरार रखी और कुल रैंकिंग में पांचवीं पायदान पर आया. सर्वे की शीर्ष 10 रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ, जबकि अगले 50 में कुछ छोटे-मोटे हेर-फेर हुए.
هذه القصة مأخوذة من طبعة November 23, 2022 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة November 23, 2022 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई