इंदिरा गांधी नहर (पहले राजस्थान नहर)
परिकल्पना 1948 में
देश में 650 किमी लंबी इंदिरा गांधी नहर सबसे लंबी है. यह पंजाब में हरिके बैराज से शुरू होती है और पश्चिमी राजस्थान में थार रेगिस्तान में सिंचाई की व्यवस्था पर जाकर खत्म होती है. राजस्थान के बंजर क्षेत्रों को हरा-भरा करने के उद्देश्य से इसकी कल्पना 1948 में की गई. इस नहर से सालाना 29 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई होती है. इसका निर्माण 1952 में शुरू हुआ था और अंतिम हिस्सा 2010 में पूरा हुआ. मुख्य राजस्थान नहर 445 किलोमीटर लंबी है. फिर पंजाब और हरियाणा में 167 किलोमीटर और राजस्थान में 37 किलोमीटर लंबी उप-नहर जुड़ती है. यह राजस्थान के सात जिलों श्रीगंगानगर, चूरू, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर में पानी पहुंचाती है. इससे सिंचाई परियोजना के बड़े पैमाने पर फायदे जाहिर होते हैं.
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे
पूरी तरह तैयार 2002 में
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे (सरकारी नाम यशवंतराव चव्हाण एक्सप्रेसवे) देश का पहला छह-लेन चौड़ा, कंक्रीट का बना टोल एक्सप्रेसवे है. 94.5 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे से पुराने राजमार्ग के मुकाबले यात्रा का समय दो घंटे कम हो गया है. 2002 में पूरी तरह से चालू एक्सप्रेसवे से देश की सड़कों पर गाड़ियों की रफ्तार और सुरक्षा के नए मानक तय हुए. फिलहाल यह देश की सबसे व्यस्त सड़कों में एक है. इस पर रोज करीब 43,000 कारें दौड़ती हैं और इसमें 1,00,000 कारों तक की आवाजाही की सहूलत है. यह पहली चर्चित सड़क परियोजनाओं में एक है, जिसमें 'बनाओ और निजी पूंजी जुटाओ' के सिद्धांत को अमल में लाया गया.
भाखड़ा नांगल/दामोदर वैली कॉर्पोरेशन
पूरा हुआ 1963 में/आधारशिला रखी गई 1948 में
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"