• प्र. भारत को जी20 की अध्यक्षता ऐसे समय मिली है जब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं. जी20 शिखर सम्मेलन भारत की तेजी से उभरती आर्थिक शक्ति और वैश्विक आर्थिक मंचों पर विश्वसनीय आवाज के रूप में छवि को मजबूत करने में किस प्रकार मददगार होगा?
मैं नहीं समझता कि किसी देश की छवि और उसकी ब्रांडिंग को किसी शिखर सम्मेलन के जरिए मजबूत किया जा सकता है. वित्तीय दुनिया वास्तविक तथ्यों से संचालित होती है. यह प्रदर्शन देखती है, धारणा नहीं. चाहे वह कोविड- 19 महामारी से लड़ते हुए अन्य देशों की भी मदद करना हो, या फिर हमने अपनी अर्थव्यवस्था को जिस तरह से विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनाया, या फिर हमारी वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली के लगातार मजबूत होने की बात हो, भारत आज जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, उसे पूरा विश्व देख रहा है.
किसी शिखर सम्मेलन को छवि निर्माण के दृष्टिकोण से देखना, भारत की विकास गाथा को कमजोर करता है. जी20 शिखर सम्मेलन को वैश्विक संदर्भों में देखा जाना चाहिए. जी20 देशों का मानना है कि सिर्फ अरबों-खरबों की बात करने से कुछ खास नहीं होने वाला, जरूरत मानव-केंद्रित विकास पर ध्यान फोकस करने की है. मेरा अनुभव है कि हमारी जी20 की अध्यक्षता के दौरान इसी लाइन पर चर्चा होती रही है. कई बैठकों और चर्चाओं में हमने देखा है कि पुराने दृष्टिकोण की जगह नए दृष्टिकोणों को अपनाया गया है.
पहली बार, विकसित और विकासशील देश एक साथ आएंगे और वैश्विक समस्याओं का समाधान ढूंढेंगे. हमने अफ्रीकन यूनियन को आमंत्रित करके समावेशी वातावरण की नींव रखी है. हमारी जी20 की अध्यक्षता में भागीदारी को जिस सीमा तक बढ़ाने का प्रयास हुआ है, वह अभूतपूर्व है और प्रतिभागियों ने भी अद्वितीय खुलेपन का परिचय दिया है. मुझे विश्वास है कि सभी देशों के योगदान से यह बहुत सफल रहेगा. भारत और भारत का जी20 सम्मेलन नई वैश्विक व्यवस्था के लिए उत्प्रेरक स्रोत के रूप में कार्य करेगा.
• आपकी सरकार ने भारत की जी20 अध्यक्षता को सफल बनाने में काफी ऊर्जा लगाई है. इसके समापन पर अंततः कौन से मुख्य परिणाम हासिल करने की आप आशा करते हैं?
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