जातिगत गणित को साधने के लिए भगवा खेमे ने पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से हाथ मिलाया. राजभर ने 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के सहयोगी दल के रूप में लड़ा था. सपा को सत्ता न मिलने पर उनका मन साइकिल से खिन्न हो गया और उन्हें सत्तारूढ़ भाजपा पसंद आने लगी थी. राजभर के 16 जुलाई को भाजपा के साथ आने के अगले दिन 17 जुलाई को घोसी विधानसभा सीट से सपा विधायक रहे दारा सिंह चौहान विधानसभा से इस्तीफा देकर भगवा दल में शामिल हो गए. 2017 में योगी मंत्रिमंडल में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल रहे चौहान 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले साइकिल पर सवार हो गए थे. उनके इस्तीफे के बाद घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की दुदुंभी बज गई.
इस बार चौहान भाजपा उम्मीदवार के रूप में घोसी विधानसभा उपचुनाव में कूदे तो सपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता सुधाकर सिंह पर दांव लगाया. यूपी में इस उपचुनाव को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाम विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' की पहली चुनावी जंग के रूप में देखा गया. कांग्रेस ने सपा उम्मीदवार का समर्थन किया तो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उपचुनाव से दूर रही. 8 सितंबर को घोसी विधानसभा उपचुनाव में चौहान सपा उम्मीदवार से 42 हजार से अधिक मतों से हार गए. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा की जाति आधारित सोशल इंजीनियरिंग घोसी विधानसभा उपचुनाव की प्रयोगशाला में मुंह के बल गिर पड़ी.
"उपचुनाव में हार के कारणों की पड़ताल के लिए एक टीम घोसी भेजने का निर्णय लिया गया है. इसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी" - भूपेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भाजपा
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